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अमेरिका के टैरिफ फैसले से भारत पर दबाव, विकास दर और जीडीपी को झटका

फटाफट पढ़ें

  • अमेरिका का टैरिफ रेट 17% हुआ
  • भारत पर 25% टैरिफ लागू
  • 2025 में टैरिफ 20.7% पहुंचने का अनुमान
  • गोल्डमैन ने विकास दर घटाई
  • टैरिफ से जीडीपी पर दबाव संभव

Tariff Hike : सोमवार को फिच ने बताया कि अमेरिका का कुल प्रभावी टैरिफ रेट अब घटकर 17% रह गया है, जो तीन अप्रैल के अनुमान से करीब 8 प्रतिशत अंक कम है, जब उच्च पारस्परिक टैरिफ की शुरूवात की गई थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की है. ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका निर्यात किया जाने वाला करीब आधा भारतीय बिजनेस प्रभावित होगा. फिच रेटिंग्स के अनुसार, इस साल 18.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण, भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी प्रभावी टैरिफ रेट 2025 में 20.7% हो जाएगी, जो 2024 में 2.4% थी. अमेरिका द्वारा टैरिफ में की जाने वाली इस बढ़ोतरी से भारत की आर्थिक वृद्धि पर भी कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ने का खतरा है.

अमेरिका का टैरिफ रेट 17% हुआ

सोमवार को फिच ने कहा कि फिलहाल अमेरिका का प्रभावी टैरिफ रेट अब 17% है, जो तीन अप्रैल के अनुमान से करीब आठ अंक कम है, जब उच्च पारस्परिक टैरिफ की पहली बार घोषणा की गई थी. पिछले हफ्ते, डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने के साथ रूस के साथ व्यापार पर अलग से जुर्माना लगाने का भी ऐलान किया था.

गोल्डमैन ने विकास दर घटाई

गोल्डमैन ने सोमवार को अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को देखते हुए भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान 2025 के लिए घटाकर 6.5% और 2026 के लिए 6.4% कर दिया. संस्था ने आगे कहा, “हमारे मानना है कि इन टैरिफों में से कुछ पर समय के साथ बातचीत कर उन्हें कम किया जा सकता है. और आगे चलकर विकाश पर नकारात्मक असर की प्रमुख वजह अनिश्चितता बनी रह सकती है.

टैरिफ से जीडीपी पर दबाव संभव

एचडीएफसी बैंक के अनुसार, टैरिफ लागू होने से भारत की जीडीपी वृद्धि में 20 से 25 बेसिस पॉइंट्स का नकारात्मक असर पड़ सकता है. मूडीज रेटिंग्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट क्रिश्चियन डी गुजमैन ने कहा, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक सीमित पहुंच भारत की विनिर्माण क्षेत्र, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उच्च मूल्यवर्धित क्षेत्रों को विकसित करने की महत्वाकांक्षाओं की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है. भारत की अर्थव्यवस्था के लचीले बने रहने की संभावना है, क्योंकि वह एशिया-प्रशांत की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में व्यापार पर कम निर्भर है.

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