
Rajnath Singh : राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा के दौरान माहौल उस वक्त गर्मा गया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के बयानों पर जोरदार हमला बोल रहे थे. उन्होंने विपक्ष के उस सुझाव पर सवाल उठाया जिसमें कहा गया था कि भारत को पीओके पर कब्जा कर लेना चाहिए था. जिसको लेकर राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा कि “क्या ये बातें विपक्ष दिल से कह रहा है या सिर्फ दिखावे के लिए?” उनका इतना कहना था कि इस तीखे सवाल ने बहस को और भी तीखा और गंभीर बना दिया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सोचने की बात है कि जो लोग कभी पाकिस्तान से जवाब मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, आज वही लोग सरकार से पीओके लेने की बात कर रहे हैं.
“वो दिन दूर नहीं जब POK भारत का हिस्सा होगा”
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और उनका खुद का रुख शुरू से स्पष्ट रहा है:
“वो दिन दूर नहीं जब पीओके के लोगों को भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिलेगा।”
उन्होंने विपक्ष के “अचानक जागे हुए पीओके प्रेम” पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह सोचने की बात है कि जब सत्ता में थे तब क्या किया, और आज क्या कह रहे हैं.
विपक्ष पर शेर और कहावत से वार
रक्षा मंत्री ने अपनी बात को मजबूती से रखने के लिए एक शेर को बदले हुए अंदाज में पेश किया:
“पीओके लुटने का सबब, पूछो न सबके सामने, नाम आएगा तुम्हारा, ये कहानी फिर सही”
इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश की एक कहावत का ज़िक्र करते हुए विपक्ष पर कटाक्ष किया:
“बाप मरा अंधियारे मा, बेटवा के नाम पावर हाउस।”
मतलब, जिसके पूर्वज कुछ कर नहीं पाए, वो अब खुद को ताकतवर साबित करने की कोशिश कर रहा है.
“विपक्ष की नीति रही है डर और भ्रम की”
राजनाथ सिंह ने विपक्ष को याद दिलाया कि जब वे सत्ता में थे, तब आतंकवादी हमलों पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया.
“उन्हें डर था कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं. आज जब हम निर्णायक कदम उठा रहे हैं, तो वे सवाल खड़े कर रहे हैं”
उन्होंने कहा कि आज पाकिस्तान में हालात इतने खराब हैं कि वहां आतंकवाद एक “धंधा” बन चुका है, और वहां की सरकारें किसी ना किसी बाहरी दबाव में काम करती हैं.
“नीति पैरालिसिस से लेकर पॉलिसी बैंकरप्सी तक”
रक्षा मंत्री ने विपक्ष की नीति पर तंज कसते हुए कहा:
“जब आप सत्ता में थे, तो नीति पैरालिसिस थी, और अब विपक्ष में हैं, तो पॉलिसी बैंकरप्सी है।”
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में दोहराया कि मोदी सरकार का मकसद है – भारत को आतंकवाद से मुक्त करना और पूरे विश्व में शांति और समृद्धि का वातावरण बनाना.
संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वाद-विवाद के बीच एक दूसरे पर कठोर शब्दों का इस्तेमाल आम बात है, वह भी तब जब मामला आतंकवाद जैसा संवेदनशीलता का हो. अब देखना दिलचस्प होगा कि इन राजनीतिक चर्चाओं के बीच असल मुद्दे पर संसद में कुछ सकारात्मक निष्कर्ष निकलता है या नही. या फिर यह सिर्फ एक दूसरे पर निशाना साधने का साधन बनकर रह जाएगा.
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