
Bihar Election 2025 : बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा रही है. अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, वैसे ही सभी सियासी दल पूरी तरह से मैदान में उतर चुके हैं. इस बार कांग्रेस का अंदाज सबसे ज़्यादा जुझारू और आक्रामक नजर आ रहा है. तकरीबन 35 साल से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस अब महागठबंधन के सहारे वापसी करने की पूरी कोशिश कर रही है.
राहुल गांधी का सियासी सफर
कांग्रेस की रणनीति का असली मरकज हैं राहुल गांधी. हाल ही में उन्होंने “मतदाता अधिकार यात्रा” पूरी की, जहां उन्होंने राजद के तेजस्वी यादव, वीआईपी के मुकेश साहनी और वामदल के दीपांकर भट्टाचार्य के साथ मंच साझा किया. कांग्रेस इसे बड़ी कामयाबी मान रही है और अब राहुल गांधी ने नौ नई यात्राओं का नक्शा भी तैयार कर लिया गया है.
इन दौरान राहुल गांधी रोड शो करेंगे, जनसभाओं को खिताब करेंगे और लोगों से सीधा संवाद करेंगे. उनका फोकस बेरोज़गारी, तालीम, पलायन और “वोट चोरी” जैसे मुद्दों पर रहेगा. कांग्रेस का मानना है कि लोगों से सीधे जुड़कर ही बिहार की ज़मीन पर मज़बूत पकड़ बनाई जा सकती है.
प्रियंका गांधी और बड़े लीडरों की एंट्री
कांग्रेस सिर्फ राहुल गांधी पर नहीं टिकना चाहती. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी और दूसरे वरिष्ठ नेता भी चुनावी मैदान में नज़र आएंगे. कहा जा रहा है कि 20 सितंबर के बाद प्रियंका गांधी की चंपारण में बड़ी जनसभा होने वाली है. वहीं, राहुल गांधी की नई यात्राएं 25 सितंबर से शुरू हो सकती हैं.
महागठबंधन की साझा रणनीति
इस बार महागठबंधन पहले से कहीं ज़्यादा संगठित दिख रहा है. कांग्रेस, राजद, वीआईपी और वामदल मिलकर संयुक्त सभाएँ करेंगे, ताकि हर हलके तक तेज़ और असरदार पहुंच बनाई जा सके. यह तर्ज़ कर्नाटक और बंगाल के चुनावी मॉडल से लिया गया है, जहाँ विपक्षी दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा और कामयाबी हासिल की.
बहुत जल्द महागठबंधन एक मश्तरका घोषणापत्र भी जारी करेगा. इसमें रोजगार, सरकारी भर्तियाँ, 200 यूनिट मुफ़्त बिजली और “माई बहन सम्मान योजना” जैसे वादे होंगे. इसे न्यूनतम साझा प्रोग्राम के तौर पर पेश किया जाएगा.
लालू और सोनिया की मौजूदगी
चुनाव के आखिरी मरहले में सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव की भी मौजूदगी हो सकती है. हालांकि उनकी सेहत को देखते हुए प्रोग्राम सीमित रहेंगे, लेकिन उनकी शिरकत से कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद होना तय है.
एनडीए पर निशाना
महागठबंधन की नजर नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए हुकूमत को सत्ता से हटाने पर है. एनडीए ने समाजी स्कीमों और कानून-व्यवस्था पर काम किया है, लेकिन बेरोजगारी, महंगाई और करप्शन जैसे इल्जामों ने उसे घेरा है. विपक्ष इन्हीं मुद्दों को हथियार बनाकर जनता तक पहुंचना चाहता है.
नतीजा क्या निकलेगा?
अब सबकी नजर सीट बंटवारे के फार्मूले पर है. क्या महागठबंधन वाक़ई एकजुट रहकर चुनाव लड़ेगा और एनडीए को चुनौती देगा? या फिर आपसी मतभेद इसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी साबित होंगे?
बिहार चुनाव 2025 सिर्फ सत्ता की जंग नहीं, बल्कि कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए साख और अस्तित्व का सवाल भी है. राहुल गांधी के सफर, प्रियंका गांधी की तहरीक और महागठबंधन की साझा चाल मिलकर बिहार की सियासत को बेहद दिलचस्प बना रही हैं. अब देखना यह है कि जनता इस तहरीक को कैसे कबूल करती है.
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