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ऑपरेशन जीवनज्योत: पंजाब में सड़कों से स्कूल तक लौटाया जा रहा है बचपन

PUNJAB Operation : पिछले साल सितंबर में पंजाब सरकार द्वारा शुरू किए ‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ अभियान पंजाब में शिक्षा की नई क्रांति ला दी है. इसका उद्देश्य राज्य में सड़कों, धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने या सड़क पर कूड़ा बीनने जैसे कार्यों में लगे बच्चों की पहचान कर उन्हें पुनर्वास प्रदान करना है. इस अभियान के तहत अब तक कुल 753 बचाव ऑपरेशन चलाए जा चुके हैं.


367 बच्चों को किया गया रेस्क्यू

इस अभियान के तहत बीते नौ महीनों में पंजाब के विभिन्न जिलों से कुल 367 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है. इनमें से 350 बच्चों को उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया गया है, जबकि 17 बच्चों को बाल गृहों में रखा गया है क्योंकि उनके अभिभावकों का कोई पता नहीं चल पाया.


शिक्षा और पुनर्वास के लिए किए गए प्रयास

सरकार द्वारा रेस्क्यू किए गए बच्चों में से 183 बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है. 13 छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में शामिल किया गया है. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के 30 बच्चों को ₹4,000 प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जा रही है. इसके अतिरिक्त 16 बच्चों को पेंशन योजनाओं से और 13 बच्चों को स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से जोड़ा गया है.


निगरानी व्यवस्था और जीवनज्योत-2 की शुरुआत

रेस्क्यू के बाद बच्चों की निगरानी के लिए जिला बाल संरक्षण इकाइयों द्वारा हर तीन महीने पर फॉलोअप किया जा रहा है. हालांकि अब तक 57 बच्चे फॉलोअप में नहीं मिल पाए. इन्हीं कमियों को देखते हुए सरकार ने जुलाई 2025 में ‘जीवनज्योत-2’ अभियान की शुरुआत की है, जिसमें अब डीएनए परीक्षण जैसी सख्त प्रक्रियाएं भी अपनाई जा रही हैं.


17 जुलाई को राज्य भर में विशेष छापेमारी

17 जुलाई को राज्य के 17 विभिन्न स्थानों पर विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें कुल 21 बच्चों को रेस्क्यू किया गया. इनमें से 13 मोहाली, 4 अमृतसर और शेष बच्चे बर्नाला, मानसा और फरीदकोट से थे. बठिंडा में 20 बच्चों की डीएनए जांच के लिए पहचान की गई है.


कानूनी प्रावधान और दंड

अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे से जबरन भीख मंगवाते हुए या मानव तस्करी में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. ऐसे मामलों में दोषी को 5 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा, बार-बार बच्चों को इस स्थिति में डालने वाले माता-पिता को ‘अनफिट पेरेंट’ घोषित किया जा सकता है, और राज्य उस बच्चे की संरक्षकता ले सकता है.


अभियान की खास बातें:

  • 367 बच्चों को रेस्क्यू किया गया — रेलवे स्टेशन, बाजार, मंदिर और ट्रैफिक सिग्नलों जैसे संवेदनशील इलाकों से बच्चों को सुरक्षित निकाला गया.
  • 183 बच्चों को स्कूलों में दाखिला — आंगनवाड़ी और पेंशन योजनाओं से भी जोड़ा गया; जरूरतमंदों को ₹4,000 प्रति माह सहायता.
  • 753 रेस्क्यू ऑपरेशन पूरे राज्य में — जिला प्रशासन, पुलिस और सामाजिक संगठनों की संयुक्त कार्रवाई.
  • जीवनज्योत-2 में डीएनए जांच की शुरुआत — बच्चा किसी मानव तस्करी या शोषण का शिकार तो नहीं, इसकी वैज्ञानिक जांच सुनिश्चित की जा रही है.

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