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अमेरिका में प्रोटेस्ट तो ट्रंप ने की 2,000 नेशनल गार्ड्स की तैनाती, एक्सपर्ट बोले – सरकार दबा रही विरोध

Protest in America : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लॉस एंजेलिस में 2,000 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का फैसला किया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इसका असर, विरोध प्रदर्शन पर पड़ सकता है. ऐसे समय में तैनाती हुई. आव्रजन (इमिग्रेशन) छापों के बाद संघीय एजेंसियों का प्रदर्शनकारियों से टकराव हुआ.

रविवार (8 जून) को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, एक विश्लेषक ने बताया कि पुलिस और फेडरल बॉर्डर पेट्रोल एजेंट्स की कुछ प्रदर्शनकारियों से झड़प भी दिखी गई. इसमें उन पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए.

आपको बता दें कि नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल के प्रोफेसर डेनियल उरमैन का कहना है कि विद्रोह जैसी स्थिति हो, ऐसे में ट्रप को नेशनल गार्ड तैनात करने का कानूनी रूप से अधिकार दिया गया है. लेकिन सामन्य गवर्नर अनुरोध करता है, जब अशांति की स्थिति हो, लेकिन लॉस एंजेलिस में सिर्फ विरोध तक ही सीमित है. अभी उस स्तर तक नहीं गया है.

ट्रंप ने राष्ट्रपति ज्ञापन पर साइन किए

उरमैन के मुताबिक, यह कदम समय से पहले लिया गया लगता है और ऐसा लगता है कि इसका मकसद विरोध को दबाना है. व्हाइट हाउस ने अपने एक बयान में कहा है कि उस अराजकता को खत्म की बात कही गई. यह भी कहा गया कि इसके लिए ट्रंप ने राष्ट्रपति ज्ञापन (Presidential Memorandum) पर साइन किए हैं, जो लंबे समय से पनप रहा है, हालांकि, कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजम की बात करें तो उन्होने इस फैसले को भड़काने वाला करार दिया.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन ने Insurrection Act (विद्रोह कानून) लगाया नहीं है. बताते चलें कि 1807 का कानून है जो अमेरिकी राष्ट्रपति को कानून व्यवस्था बनाए रखने की की ताकत देता है. अशांति को दबाया जा सकता है. इस कानून का उपयोग 1992 में लॉस एंजेलिस दंगों के वक्त किया गया था. गर्वनर के अनुरोध पर हुआ था.

प्रोफेसर उरमैन ने बताया कि इससे संघीय सरकार को राज्य और स्थानीय सरकारों की तुलना में ज्यादा अधिकार मिल जाते हैं, जबकि अमेरिका का संविधान सीमित और निर्दिष्ट अधिकारों वाली संघीय व्यवस्था की बात करता है.

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