
Health News: AIIMS के वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह शोध एम्स के बायोकैमिस्ट्री विभाग के डॉ. शुभदीप कुंडु ने डॉ. अशोक शर्मा के मार्गदर्शन में किया, जिसे प्रतिष्ठित मेमलियन जीनोम (स्प्रिंगर नेचर पब्लिकेशन) में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि B-टाइप लैमिन्स, विशेष रूप से लैमिन B1 और लैमिन B2, कैंसर की प्रगति और रोगियों की जीवित रहने की संभावना पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
लैमिन्स वे प्रोटीन हैं जो कोशिका के नाभिक (nucleus) को स्थिरता प्रदान करते हैं। इस शोध में RNA sequencing तकनीक का उपयोग कर वैज्ञानिकों ने पाया कि लैमिन B1 और B2 का उच्च स्तर कैंसर रोगियों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। जिन रोगियों में इन दोनों प्रोटीनों का स्तर अधिक पाया गया, उनकी जीवन अवधि कम थी। जब लैमिन B1 और B2 साथ में अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं, तो कैंसर और आक्रामक हो जाता है।
कैंसर में इम्यून सेल्स की भागीदारी
शोध में यह भी पाया गया कि लैमिन B1 का सीधा संबंध CD4+ T-सेल्स और टाइप-2 T-हेल्पर सेल्स (Th2) से है, जो कैंसर में इम्यून सेल्स की भागीदारी को प्रभावित करता है। लैमिन B2 का प्रभाव भी इम्यून सेल्स पर देखा गया, लेकिन यह लैमिन B1 की तुलना में कम था। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने लैमिन B2 से जुड़े 9 ऐसे प्रोटीनों की पहचान की है, जो कोशिका विभाजन (cell division) और साइटोकाइनेसीस (cytokinesis) को प्रभावित करते हैं। इनका संयोजन कैंसर कोशिकाओं के गुणसूत्रों (chromosomes) में असंतुलन पैदा करता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, B-टाइप लैमिन्स कैंसर के निदान और इलाज में बायोमार्कर के रूप में उपयोगी हो सकते हैं। इन पर आधारित दवाएं और थेरेपी विकसित करना अगला महत्वपूर्ण कदम होगा। अगर लैमिन्स को नियंत्रित करने के तरीके विकसित किए जाएं, तो इससे कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। यह शोध कैंसर रोगियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है और कैंसर चिकित्सा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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