
उत्तर प्रदेश में नए पुलिस मुखिया का इंतजार सबको बेसब्री से है, इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1988 बैच के आईपीएस अफसर देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया है। डीजीपी मुकुल गोयल को हटाए जाने के बाद नई तैनाती को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है।
वरिष्ठता के आधार पर 1987 बैच के आईपीएस अफसर आरपी सिंह सबसे वरिष्ठ डीजी हैं और मौजूदा समय में प्रशिक्षण निदेशालय में हैं। दूसरे नंबर पर 1987 बैच के ही सीबीसीआईडी में डीजी जीएल मीना, तीसरे पर 1988 बैच के डीजी भर्ती बोर्ड राज कुमार विश्वकर्मा, चौथे पर 1988 बैच के डीजी इंटेलीजेंस देवेंद्र सिंह चौहान और पांचवें पर 1988 बैच के डीजी जेल आनंद कुमार हैं। इनमें देवेंद्र सिंह चौहान डीजीपी की रेस में सबसे आगे हैं।
इस तरह प्रदेश सरकार के पास वर्ष 1987 व 1988 बैच के अफसरों में से ही किसी एक को डीजीपी नियुक्त करने का विकल्प मौजूद है। नियमित नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार को वरिष्ठता के आधार पर पैनल बनाकर केंद्र सरकार के पास भेजना होगा। इस पैनल में भी इन्हीं अफसरों के नाम नियमानुसार भेजे जाएंगे।
विभागीय कार्यों में रुचि नहीं लेते थे मुकुल गोयल
बता दें उत्तर प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को पद से हटाया गया है। जानकारी के मुताबिक पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि नहीं लेने के चलते डीजीपी पद से मुक्त करते हुए डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा गया है।
दरअसल मुकुल गोयल इससे पहले काफी विवादों में भी रह चुके हैं। कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुईं, जब उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठे। इसी कड़ी में साल 2000 में मुकुल गोयल को उस समय एसएसपी के पद से सस्पेंड कर दिया गया था। जब पूर्व बीजेपी विधायक निर्भय पाल शर्मा की हत्या हो गई थी। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2006 के कथित पुलिस भर्ती घोटाले में कुल 25 IPS अधिकारियों का नाम सामने आए थे। जिसमें मुकुल गोयल का नाम भी शामिल था।