
MP Wildlife Security : मध्य प्रदेश के प्रमुख वन्य क्षेत्रों में वन्य जीवों की तस्करी और अवैध शिकार पर लगाम कसने के लिए अब अत्याधुनिक उपायों को अपनाया जा रहा है. इसी क्रम में प्रदेश के तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यानों, कूनो, पेंच और संजय, में प्रशिक्षित स्निफर डॉग की तैनाती इसी सप्ताह की जा रही है. इन खोजी श्वानों को विशेष रूप से प्रतिबंधित वन्य जीव उत्पादों की गंध पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया गया है. इनकी मदद से वन विभाग को जंगलों में होने वाली अवैध गतिविधियों की समय रहते पहचान करने में बड़ी सहायता मिलेगी.
तस्करी के बदलते तरीके
वन्य जीव संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि तस्करों ने अब बेहद सूक्ष्म और छुपाने योग्य तरीकों से व्यापार को अंजाम देना शुरू कर दिया है. नेवले के बाल, सांप की खाल, गैंडे के सींग, बाघ की हड्डियां, हाथी दांत, कछुए की ढाल, पेंगोलीन की खाल और दुर्लभ पक्षियों की तस्करी लगातार बढ़ रही है. कई बार यह सामग्री सामान्य सामानों में इतनी सफाई से छुपा दी जाती है कि निरीक्षण के बावजूद पकड़ में नहीं आती. ऐसे मामलों में प्रशिक्षित स्निफर डॉग अत्यंत उपयोगी साबित होते हैं, क्योंकि उन्हें उन विशेष गंधों की पहचान करने के लिए वैज्ञानिक ढंग से प्रशिक्षित किया गया है जो इंसानी इंद्रियों से पकड़ में नहीं आतीं.
राष्ट्रीय स्तर पर तैयार हुआ विशेष खोजी दस्ता
इन स्निफर डॉग्स को हरियाणा के पंचकुला स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस के राष्ट्रीय स्निफर डॉग ट्रेनिंग सेंटर में सात महीने तक गहन प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 14 श्वानों और उनके 28 हैंडलरों को शामिल किया गया. यह प्रशिक्षण विश्वविख्यात पर्यावरण संगठन वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर WWF के सहयोग से संपन्न हुआ. अब इन प्रशिक्षित दस्तों को मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, बिहार, राजस्थान, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों के प्रमुख वन क्षेत्रों में भी तैनात किया जा रहा है.
इनमें देश के कई महत्वपूर्ण अभयारण्य जैसे रणथम्भौर, ताड़ोबा, वाल्मीकि, कवल और पक्के बाघ अभयारण्य शामिल हैं. इनकी मौजूदगी न केवल अवैध शिकार और तस्करी पर रोक लगाने में मदद करेगी, बल्कि वन्य जीव संरक्षण की दिशा में भी एक अहम भूमिका निभाएगी.
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