
Parliamentary Cost : राज्यसभा सदस्य एवं पर्यावरण कार्यकर्ता संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने हाल ही में राज्यसभा के उपसभापति एवं केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखकर संसद की कार्यवाही में हो रहे व्यवधानों को गंभीर रूप से बताया है. उनके अनुसार, संसद के चलने में देरी और व्यवधानों के कारण आम जनता का पैसा व्यर्थ खर्च हो रहा है.
प्रति मिनट खर्च होते हैं 2.5 लाख रूपए
अपने तीन पेज के पत्र में सीचेवाल ने दावा किया है कि संसद के एक भी मिनट के दौरान 2.5 लाख का खर्चा होता है, जिससे एक दिन में लगभग 10 करोड़ और कुछ दिनों में 100 करोड़ से अधिक राशि खर्च हो जाती है. हाल ही के सत्र में लगातार कई दिनों तक काम नहीं चलने से यह राशि और भी अधिक होने का अनुमान है. यह रिपोर्ट भारत की मीडिया रिपोर्टों से मेल खाती है, जिनमें बताया गया है कि संसद का प्रति मिनट खर्च लगभग 2.5 लाख है.
विपक्ष को संसद में मुद्दे उठाने से रोका जा रहा है
सीचेवाल ने कहा कि सांसदों को शून्यकाल, प्रश्नकाल और विशेष उल्लेख के माध्यम से अपनी समस्याएं उठाने का अधिकार है, लेकिन जब संसद चल ही नहीं रही, तो यह लोकतांत्रिक अधिकार अधूरा रह जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि हंगामा करना किसी भी हालत में सफल रणनीति नहीं है; हताशा और राजनीति का परिणाम जनता की हार होती है.
संसदीय उपेक्षा से लोकतंत्र और नागरिकों पर प्रभाव
पत्र में सीचेवाल ने यह भी रेखांकित किया कि भारत आजाद हुए 75 वर्ष से अधिक समय हो गया, लेकिन अभी भी जनता को साफ पानी, शुद्ध हवा और भोजन नहीं मिल पा रहा है — जो कि संवैधानिक अधिकार हैं. साथ ही बेरोजगारी, प्रवासी भारतीयों की स्थिति, और अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं जैसे मुद्दों पर चर्चा न हो पाने से लोकतंत्र और कार्यपालिका दोनों की विसंगति सामने आती है.
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