
Election Commission of India: मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को नियंत्रित करने के लिए हाल ही में बनाए गए कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 के तहत प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में एक विपक्षी नेता से मिलकर बने पैनल के द्वारा सीईसी और चुनाव आयुक्तों के पदों पर नियुक्ति का प्रावधान है।
Election Commission of India: निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का है उल्लंघन
बता दें कि इस कानून को पिछले साल ही संसद द्वारा पारित किया गया था और 29 दिसंबर, 2023 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई। कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर और संजय नारायणराव मेश्राम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि अधिनियम के प्रावधान, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन हैं क्योंकि यह ईसीआई के सदस्यों की नियुक्ति के लिए “स्वतंत्र तंत्र” प्रदान नहीं करता है।
Election Commission of India: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का है उल्लंघन
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि कानून अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है क्योंकि यह चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया से भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को बाहर करता है। मार्च 2023 के फैसले में, शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि ईसीआई के सदस्यों की नियुक्ति प्रधान मंत्री, सीजेआई और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सलाह पर की जाएगी, “जब तक कोई कानून नहीं बन जाता”।
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