Privacy: 5 साल बाद खुली घर की खिड़की, कोर्ट के हस्तक्षेप से हुआ संभव

Share

Privacy: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक कश्मीर निवासी को अपने घर की खिड़कियां पांच साल से अधिक समय के बाद खोलने की अनुमति दी, क्योंकि एक सिविल अदालत ने उसके पड़ोसी के दावे को बरकरार रखते हुए उसे ऐसा करने से रोक दिया था। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन ने कहा कि सिविल कोर्ट का आदेश यह प्रतिबिंबित करने में विफल रहा कि याचिकाकर्ता के पड़ोसी के किस प्रकार और किस अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा था। अदालत ने कहा, “निस्संदेह, याचिकाकर्ता को अपनी खिड़कियां खोलने का अधिकार है, भले ही उनका मुख प्रतिवादी के घर की ओर हो।” वहीं यह तर्क भी दिया गया कि इससे निजता का उल्लंघन होगा यह बात निराधार है।

Privacy: कोर्ट ने कहा खिड़की पर लगाए पर्दे

कोर्ट ने कहा कि पड़ोसी “अपनी खिड़कियों पर पर्दे लगाकर या अपनी संपत्ति पर दीवार खड़ी करके अपनी गोपनीयता की रक्षा कर सकता है, जिससे उनका घर याचिकाकर्ता की संपत्ति से अदृश्य हो जाएगा।” यह मामला बडगाम जिले के एक निवासी द्वारा अपने पड़ोसी के खिलाफ दायर एक नागरिक मुकदमे से उत्पन्न हुआ है। पड़ोसी के अनुसार, याचिकाकर्ता के निर्माणाधीन घर की ढलान वाली छत उसके घर की ओर गिरती थी और बर्फ उसकी संपत्ति पर गिरती थी।

Privacy: नाली के पाइप से भी परेशानी

पड़ोसी इस बात से भी व्यथित था कि याचिकाकर्ता द्वारा नाली के पाइप इस तरह से लगाए गए थे कि पानी उनकी संपत्ति पर बह जाएगा और मिट्टी कमजोर हो जाएगी। तीसरा मुद्दा यह था कि पड़ोसी की संपत्ति की ओर खिड़कियाँ खुलने से उसकी निजता का हनन होगा। ट्रायल कोर्ट ने 2018 में अंतरिम आदेशों के लिए दायर एक आवेदन को आंशिक रूप से अनुमति दे दी थी। हालांकि इसने याचिकाकर्ता को निर्माण जारी रखने की अनुमति दी, लेकिन उसे पड़ोसी के घर की ओर वाली खिड़कियाँ खोलने से रोक दिया गया।

ये भी पढ़ें- Diplomacy: अगले हफ्ते, मॉस्को की यात्रा पर होंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर