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राज्यसभा में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा विधेयक पास, विपक्ष नाराज, जताई आपत्ति

ECI Bill: राज्य सभा में मंगलवार को भारतीय चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा विधेयक पारित होने पर विपक्षी नेताओं ने आपत्ति दर्ज कराई है.

चुनाव आयोग की निष्पक्षता को किया खत्म

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा है, “ये एक विधेयक नहीं है. ये एक बुलडोज़र है जिससे बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भारतीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता ख़त्म कर दी है.”

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ये बिल निष्पक्ष नहीं होगा

वहीं, डीएमके सांसद टी सिवा ने कहा है, “…ये पूरी तरह से सरकार के हित में होगा. ये उस तरह से निष्पक्ष नहीं हो सकता, जैसी इससे अपेक्षा की जाती है. एक लोकतांत्रिक देश में ऐसा कैसे स्वीकार्य हो सकता है.”

राज्य सभा में मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक पारित किया गया है.

भारत के राष्ट्रपति नियुक्त करेंगे चुनाव आयुक्त

इस विधेयक को 10 अगस्त, 2023 को पेश किया गया था. इस विधेयक के तहत एक चयन समिति की ओर से भेजी गई सिफारिशों के आधार पर भारत के राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्त करेंगे.

ECI Bill: सरकार को मुख्य न्यायाधीश पर भरोसा क्यों नहीं ?

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इसका विरोध करते हुए कहा, “एक बात समझ नहीं आई कि क्या सरकार को मुख्य न्यायाधीश पर भरोसा नहीं है. क्या सरकार को शीर्ष अदालत पर भरोसा नहीं है.”

ECI Bill: निष्पक्षता और योग्यता खत्म

“तीन सदस्य थे – प्रधानमंत्री थे, नेता विपक्ष थे, और भारत के मुख्य न्यायाधीश थे. चीफ़ जस्टिस को हटाकर वहां अपने एक मंत्री को लाएंगे जिसे राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर नियुक्त करते हैं. वहां निष्पक्षता कहां रहेगी. वहां योग्यता कहां रहेगी.”

“आज का दिन भारतीय लोकतंत्र पर एक कलंक है जब स्वतंत्र–निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने के लिए मोदी सरकार ने आयोग के गठन की प्रक्रिया बदल दी है.”

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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी ओर से वॉकआउट करने की वजह भी यही रही.

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