अंकिता मर्डर केस में आरोपी को बचाने के लिए झारखंड के जांच अधिकारी नूर मुस्तफा को पद से किया गया बर्खास्त

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Ankita Murder Case: झारखंड में 23 अगस्त को कुछ ऐसा हुआ कि जिसने भी ये घटना सुनी आग बबूला हो उठा इसके साथ ही लोगों के मन में कानून व्यवस्था की सुरक्षा को लेकर सवाल पैदा कर दिया है कि आखिर कबतक सुरक्षा के नाम पर लापरवाही होती रहेगी दरअसल दुमका नगर के थाना क्षेत्र के जरूवाडीह का रहना वाला एक शख्स जिसका नाम शाहरूख हुसैन बताया गया अपने मोहल्ले की हिन्दू लड़की अंकिता सिंह को कुछ समय में ही मिलकर ही उसे चाहने लगा था, अंकिता 12वीं कक्षा की पढ़ने वाली छात्रा थी रोज स्कूल जाते समय अंकिता और शाहरूख की मुलाकात हो जाती थी लेकिन कुछ दिनों से शाहरूख अंकिता को प्रपोज कर रहा था लेकिन अंकिता उसके प्रपोजल को इग्नोर कर रही थी। शाहरूख को अंकिता कि ये बेरूखी पसंद नहीं आई जिसके बाद उसने अंकिता को धमकी देने के बाद जिंदा जलाने की कोशिश की।

जांच अधिकारी को आरोपी को बचाने के लिए हटाया गया

इस घटना ने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया है और साथ ही कानून की खराब सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मन में डर बिठा दिया है कि महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं। वहीं झारखंड के जांच अधिकारी नूर मुस्तफा मामले की जांच से हटा दिया गया है क्योंकि उनपर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होनें आरोपी शाहरूख को बचाने की कोशिश की थी जिसकी वजह से उन्हें इस मामले की जांच से हटा दिया गया है अब इस पूरे मामले की जांच अब निरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी को सौंप दिया गया है।

आरोपी के बचाने के लिए डीएसपी नूर मुस्तफा से आक्रोशित है जनता

आरोपी को बचाने के लिए ‘डीएसपी नूर मुस्तफा के खिलाफ दुमका की जनता उनसे काफी आक्रोशित है और न्याय की गुहार लगता कह रही है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, इससे पहले कि मामला और बिगड़े, इस षड्यंत्रकारी डीएसपी नूर मुस्तफ़ा पर एफआईआर दर्ज करा कर उसे जेल भिजवाया जाए। दरअसल शाहरूख को अंकिता से एकतरफा प्यार हुआ था जब शाहरूख के प्रपोजल को अंकिता ने इग्नोर कर दिया तो सरफिरे आशिक ने 23 अगस्त की सुबह 4 बजे अंकिता की खिड़की पर आकर और पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी लेकिन अंकिता ने पांच दिनों तक हिमम्त दिखाकर मौत से जंग लड़ने की कोशिश की लेकिन अंत में आकर वो हार गई और उसकी मौत हो गई।