
नई दिल्ली: बुधवार से अफगानिस्तान के मुद्दे पर होने वाली दिल्ली रीजनल सेक्युरिटी डायलॉग की बैठक में चीन ने शामिल होने से मना कर दिया है। चीन ने बैठक में हिस्सा नहीं लेने की वजह पहले से तय कार्यक्रमों को बताया है। साथ ही कहा है कि वह अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत के साथ डिप्लोमैटिक चैनलों के जरिए संपर्क में रहेगा।
पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने भी इस बैठक में शामिल न होने के अपने फैसले से भारत को अवगत करा दिया था। बावजूद इसके, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के स्तर पर होने वाली इस बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी भी शामिल होंगे। इस बैठक की अध्यक्षता भारत के नेशनल सेक्युरिटी एडवाईजर अजीत डोभाल करेंगे।
राजधानी में होने वाली इस अहम बैठक में अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद आतंकवाद, कट्टरपंथ और ड्रग्स के बढ़ते खतरों से निपटने में व्यावहारिक सहयोग के लिए चर्चा होगी। साथ ही अफगानिस्तान में चल रहे ‘अनिश्चितता’ के मुद्दे पर भी चर्चा होगी। बैठक में शामिल देश अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पहुंचाने के मुद्दे पर भी बातचीत करेंगे। फिलहाल इस बैठक में तालिबान को मान्यता दिए जाने को लेकर किसी तरह की बातचीत नहीं होगी।
बहुपक्षीय वार्ता के बाद द्वीपक्षीय वार्ता का दौर भी चलेगा जिसमें सुरक्षा मुद्दों पर आपसी सहयोग को लेकर बातचीत होगी।
बैठक में शामिल होने वाले प्रतिनीधिमंडल की मुलाकात प्रधानमंत्री से भी होने की संभावना है। इसके बाद कुछ सदस्यों के आगरा और अमृतसर भी जाने प्रोग्राम है।
अफगानिस्तान के मुद्दे इससे पहले ईरान ने 2018 और 2019 में इस तरह की बैठक का आयोजन किया था. दिल्ली में होने वाली बैठक उसी कड़ी का हिस्सा है, भारत ने इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए पाकिस्तान और चीन को भी आमंत्रित किया था, लेकिन दोनों देशों ने इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया.
विदेश मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि वार्ता में शामिल हो रहे देशों की अफगानिस्तान की स्थिति पर समान चिंताएं हैं. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “उच्चस्तरीय वार्ता में क्षेत्र में अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम से उत्पन्न सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी. इसमें प्रासंगिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के उपायों पर विचार किया जाएगा और शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता को बढ़ावा देने में अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन किया जाएगा. भारत के पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान के लोगों के साथ घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. नई दिल्ली ने अफगानिस्तान के समक्ष उत्पन्न सुरक्षा और मानवीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए एकीकृत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का आह्वान किया है. यह बैठक उस दिशा में एक कदम है.”