विक्रम विश्वविद्यालय में फिर उठा भ्रष्टाचार का मुद्दा, दोषियों पर कार्रवाई की मांग

उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय में नियम विरूद्ध किए जा रहे कार्यों का मामला एक बार फिर उछला है। एनएसयूआई ने लाखों के बिल पेमेंट होने की जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। बुधवार को विश्वविद्यालय के प्रशासनिक परिसर में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने प्रभारी कुलपति को प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा।
कांग्रेस नेता अजीत सिंह व एनएसयूआई के प्रदेश सचिव तरुण गिरि के नेतृत्व में छात्रों ने बुधवार को प्रभारी कुलपति प्रो. डीआर कुमावत को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा है कि विक्रम विश्वविद्यालय में पिछले 3 साल में रेनोवेशन के कार्य व रंगाई, पुताई कराए गए हैं। इसमें लाखों के बिल पास किए गए हैं। सभी बिलों में जो सामग्री लगाई नहीं है, लेकिन बिल में उन सभी सामग्री के पैसे जोड़े गए हैं।
इन सभी भुगतान किए गए बिलों की और कार्यों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए। गिरि ने कहा कि करीब डेढ़ साल पहले बिना एजेंसी के आउटसोर्स के नाम पर कर्मचारियों को रखकर उनका वेतन भी निकाला जा रहा है। यह सब नियम के विपरीत किया जा रहा है, जबकि यूनिवर्सिटी में वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को स्थाई कर्मी का वेतन नहीं दिया जा रहा है।
इसी तरह पढ़ाने के नाम पर विभागों में विजिटिंग शिक्षक रखे गए हैं। भ्रष्टाचार इतना कि जब परीक्षाएं चल रही थीं, उस दौरान भी विजिटिंग शिक्षकों के नाम पर वेतन जारी किया गया। परीक्षा के दौरान तो क्लासेस का संचालन ही नहीं होता है। गिरि ने भ्रष्टाचार के कुलसचिव डॉ. प्रशांत पौराणिक पर आरोप लगाते हुए तत्काल जांच कर कार्रवाई की मांग की है।