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रेजांग-ला के 120 वीरों की कहानी जो हर भारतीय का दिल गर्व से भर देगी

Rezang-La brave soldiers : भोपाल में आयोजित रेजांग-ला पवित्र रज कलश यात्रा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन 120 वीर जवानों को याद किया, जिन्होंने 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में अपनी जान की बाज़ी लगा दी.  यह कलश सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि देशभक्ति की प्रेरणा है, जो हर भारतीय के दिल को छू जाती है. डॉ. यादव ने कहा कि ये 120 रणबांकुरे उन समय के 3500 चीनी सैनिकों के सामने खड़े हुए थे.  सोचिए, 3500 बनाम 120! पर हमारे जवानों के हौसले और शौर्य ने हर डर को मात दी.  “हमारे 120 में हर एक में सौ-सौ हाथियों का बल था,” उन्होंने गर्व से कहा.


अमर बलिदान और देशभक्ति की विरासत

इस यात्रा के माध्यम से हम उन अमर बलिदानों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी.  हमारी सेना ने हर मौके पर दुश्मनों का सामना किया है.  यही वजह है कि हमारी विरासत में, चाहे वह 5000 साल पुरानी कौरवों की सेना हो या आधुनिक दुश्मन, विजय हमेशा देशभक्तों के ही कदम चूमती है.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चाहे दुश्मन कितने भी ताकतवर क्यों न हों, भारतीयों की वीरता और हिम्मत कभी कम नहीं होगी. “हम कालिया नाग पर मर्दन करने वाली परंपरा के लोग हैं.  हजारों की भीड़ में भी हम युद्ध जीत कर आए थे.  सच में भारत मां की कोख धन्य है. ”


वीरता और हौसले की मिसाल

इस पवित्र यात्रा के जरिए देशवासियों को यह संदेश जाता है कि देशभक्ति सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल की आवाज़ है.  रेजांग-ला के ये 120 शूरवीर हमें यह याद दिलाते हैं कि असली वीरता किसी संख्या से नहीं, बल्कि हौसले और जूनून से मापी जाती है.

आज जब हम उनकी गाथा सुनते हैं, तो दिल में गर्व और आंखों में आंसू एक साथ उमड़ आते हैं.  ये वीर जवान हमेशा हमारे प्रेरणा स्रोत रहेंगे, और उनकी कहानी हर भारतीय के दिल में जिंदा रहेगी.


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