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SSC परीक्षाओं में धांधली? सिसोदिया बोले- यह घोटाला नहीं तो क्या है

हाइलाइट्स :-

SSC CGL Exam Controversy : गुरुवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से स्टाफ सिलेक्शन कमीशन SSC की तैयारी करा रहे शिक्षकों ने मुलाकात की. शिक्षकों ने SSC में कथित धांधली की शिकायत की, जिसके बाद सिसोदिया ने बचपन से आज तक मेहनत कर रहे करीब 70 लाख बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने की अपील की. उन्होंने केंद्र सरकार से  दो बेहद महत्वपूर्ण मांगें रखीं, पहली यह कि अगस्त में शुरू हो रही SSC‑CGL परीक्षा को तत्काल स्थगित किया जाए, और दूसरी यह कि पहले से हुई परीक्षा को रद्द करके फिर से परीक्षा आयोजित की जाए.


परीक्षा केंद्रों की दशा पर सवाल

सिसोदिया ने यह आरोप लगाए कि परीक्षा को आयोजित करने वाली कंपनी की शैक्षणिक प्रतिष्ठा संदिग्ध है. उन्होंने कहा कि, कंपनी का पहले मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में नाम आया था और राजस्थान में भी इस तरह की कई गड़बड़ियां सामने आई हैं. केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, यह स्पष्ट रूप से बताता है कि केंद्र सरकार ने SSC की अपेक्षित जिम्मेदारी देने के बजाय घटिया और विवादित एजेंसी का चयन किया, जिसने परीक्षा केंद्रों की अराजक व्यवस्था की तस्वीर पेश की है. सिसोदिया ने गाजियाबाद के एक वायरल वीडियो का उदाहरण दिया जिसमें एक छात्र को निरीक्षक बना दिया गया था और कहा कि कुछ केंद्र मानों निजी घर या तालिबों की तरह आकार लिए हुए है. उन्होंने ऐसी घटनाओं को ‘देश के बच्चों का मजाक’ बताया.


किसानों-मजदूरों के बच्चों का भविष्य खतरे में

सिसोदिया ने भावुक स्वर में कहा कि इन परीक्षा की तैयारी में लगे छात्र किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं, वे गरीब किसानों, मजदूरों के बेटे-बेटियां हैं जिन्होंने पिता की मजदूरी या खेती की कमाई से अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाया है. उन्होंने केंद्र से हाथ जोड़ कर अनुरोध किया कि उनके भविष्य से मत खेलिये: यह लड़ाई परीक्षा की नहीं, जीवन के हक की लड़ाई है. 70 लाख बच्चों ने होशियारी से पढ़ाई की, अब उन्हें इस घटिया व्यवस्था के बीच परीक्षा देने का अधिकार छिनने न दें.


शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों पर ध्यान

सिसोदिया ने शिक्षा व्यवस्था की मूलभूत कमजोरियों की ओर भी ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने के बावजूद छात्रों को कोचिंग लेनी पड़ती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्न उठते हैं. और फिर, जब शिक्षक बच्चों को पढ़ाते थे, केंद्र सरकार की यह एजेंसी उनकी तैयारी नष्ट करने का काम कर रही थी. उन्होंने कहा कि, मांग स्पष्ट है, परीक्षा स्थगित कीजिए, एजेंसी हटाइए, जागरूक और सक्षम एजेंसी नियुक्त कीजिए, ताकि बच्चे उनके हक की परीक्षा शांति पूर्वक दे सकें.


बच्चों के भविष्य का सवाल

मनीष सिसोदिया ने आखिर में कहा कि सरकार को अपने राजनीतिक फायदे या किसी कंपनी से रिश्तों के कारण बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. हमारे देश में कई अच्छी और ईमानदार कंपनियां हैं, जो ऐसी परीक्षाएं सही तरीके से करवा सकती हैं. सरकार को ऐसी ही किसी बेहतर कंपनी को यह जिम्मेदारी देनी चाहिए. जिन परीक्षाओं में गड़बड़ी हुई है, उन्हें रद्द कर फिर से करवाया जाना चाहिए. यह सिर्फ परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि करोड़ों मेहनती बच्चों के भविष्य और उनके हक का सवाल है.


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