पीएम मोदी ने ट्रंप से की मुलाकात, अडानी पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर क्या बात हुई? जानिए PM का जवाब

Washington
Washington : पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात की। दोनों देश के नेताओं के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी है। इस मुलाकात के बाद मोदी से पूछा गया कि क्या अडानी को लेकर भी कोई बातचीत हुई? इसका प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने जवाब भी दिया।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी इस समय अमेरिकी यात्रा पर हैं। गुरुवार को वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बात हुई। इस मुलाकात के बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर भी सवाल पूछा गया।
हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की : पीएम मोदी
पीएम मोदी से पूछा गया कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी मुलाकात में क्या अडानी पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर कोई चर्चा हुई थी? इस पर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने जवाब दिया। उन्होंने कहा भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की है। हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं। मेरा मानना है कि हर भारतीय मेरा अपना है। दो देशों के दो बड़े नेता कभी ऐसे व्यक्तिगत मुद्दों पर चर्चा नहीं करते।
अडानी पर आरोप लगाया था
बता दे कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी पर आरोप लगाया था। आरोप था कि अडानी ने सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट्स में फायदा पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
यह रिश्वत अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छुपाई गई थी। अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए इन बैंकों और निवेशकों से अरबों डॉलर जुटाए थे। इसे छुपाने के कारण ही अडानी पर आरोप लगे।
एक आदेश पर हस्ताक्षर किए
रिश्वतखोरी के आरोप सामने आने के कुछ ही महीनों बाद डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए। उन्होंने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। इस आदेश से विभाग का न्याय को उस कानून को लागू करने से रोक दिया गया जिससे अडानी ग्रुप की जांच हो रही थी। यह कानून लगभग पचास साल पुराना था।
दिशानिर्देशों और नीतियों की समीक्षा करें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश में कहा गया था अटॉर्नी जनरल FCPA के तहत जांच और कार्रवाई के दिशानिर्देशों और नीतियों की समीक्षा करें। यह समीक्षा 180 दिनों में पूरी होनी है। इस आदेश में आगे कहा गया है जांच की इस अवधि के दौरान अटॉर्नी जनरल FCPA के तहत कोई नई जांच या कार्रवाई शुरू नहीं करेंगे। अगर अटॉर्नी जनरल को लगता है कि कोई विशेष मामला है तो वे अपवाद बना सकते हैं।
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