Bihar

Gopalganj Update: नीचे गिरा बच्चा, उठाने झुकीं महिलाएं तो भीड़ ने कुचला

बिहार के गोपालगंज जिले में कल यानी की 23 अक्टूबर रामनवमी के अवसर पर एक हादसा हो गया। जिसमें 1 बच्चे के साथ 3 लोगों की मौत हो गई। लोगों की खुशी मातम में बदल गई। एक बच्चा भीड़ में गिर गया, उसे उठाने के लिए दो महिलाएं झुकीं, पीछे से भीड़ ने धक्का दे दिया। जिसमें तीन लोग मारे गए और भीड़ को कुछ पता भी नहीं था। इस घटना के बाद अब जिला प्रशासन जागा है। गोपालगंज प्रशासन ने दशहरे को लेकर एक ट्रैफिक योजना बनाई है।

तस्वीर को देखकर समझिए पूरा मामला

दुर्गा पूजा और विजयादशमी के दौरान पुलिस और जिला प्रशासन ने सख्त सुरक्षा उपाय करने का वादा किया था। लेकिन अभी तक मौन क्यों थे, क्या वो ऐसी ही हादसा होने का इंतजार कर रहे थे? इस घटना के बाद कहा जा रहा है कि या तो सुरक्षा के कड़े प्रबंध नहीं किए गए थे या भीड़ की संख्या का आकलन करने में जिला प्रशासन असफल रहा। इस भीड़ में साफ तौर पर सुरक्षा बलों की लापरवाही दिखाई दिख रही है। हर साल पूजा पंडाल में भीड़ लगती है उसके बावजूद भी सुरक्षा बलों की लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ है जिससे उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।  इस भीड़ में ना ही कोई लाइन दिख रही है ना ही कोई सुरक्षा कर्मी नजर आ रहा है।

बता दें, लोगों में अफरा तफरी मच गई जिसके बाद लोगों के जूते चप्पल भी आपको तस्वीर में साफ तौर पर नजर आ रहे हैं। भी के बीच एक बच्चा नीचे गिर गया जिसे उठाने के लिए दो महिलाएं नीचे झुकी तभी पीछे से भीड़ का जमावड़ा आ गया। घायल होने का बाद पुलिसकर्मी उस बच्चें को कंधे पर उठा कर ले जाते हुए नजर आये।

हादसे के बाद सुरक्षा बल को किया गया सतर्क

बता दें की DM डॉक्टर नवल किशोर चौधरी ने आज 10:00 बजे एक बैठक रखी थी जिसमें सुरक्षाकर्मियों विशेष सुरक्षा सुरक्षा बरतने का आदेश दिया है इसके साथ ही आज दशहरे के दिन मेले को 4:00 बजे तक बंद करने का आदेश दिया गया है ताकि कोई और बड़ी हादसा ना हो। पूरा मामला स्टेशन रोड, गोपालगंज नगर थाना क्षेत्र में है। यहां सोमवार की शाम दुर्गा पूजा मेले के दौरान भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई, जो राजा दल पूजा समिति के पास हुआ था।

इसके साथ ही अब स्टेशन रोड होते हुए कौशल्या चौक से राजा दल पूजा पंडाल जाने वाले लोग निकलेंगे। अब किसी भी स्थान पर भंडारा करना होगा तो जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। डीएम ने कहा कि लोग दिन में परिवार के साथ दर्शन और पूजन करने की बजाय देर शाम को करें। पूजा का कोई निश्चित समय नहीं है।

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