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जब ‘आजाद’ पर छलका था पीएम मोदी का स्नेह, राज्यसभा विदाई भाषण में भावुक हुए थे प्रधानमंत्री

नई दिल्ली: सत्ता की इस राजनीति में कई चेहरे आते है और कई चले जाते हैं। भारत की राजनीति में लोगों ने कई ऐसे चेहरे देखें है जिसने पक्ष-विपक्ष से ऊपर उठ कर एक अच्छे संबंध का मिसाल कायम किया है। प्रधानमंत्री मोदी और विपक्ष के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद का भी रिश्ता कुछ ऐसा ही था।

गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के बड़े चेहरे थे जिनका सम्मान खुद भाजपा भी करती है। हालांकि, आज गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है, वे कई समय से पार्टी से नाराज भी चल रहे थे जिसके कारण उन्होंने सोनिया गांधी को पांच पेज लंबा पत्र लिखा और कांग्रेस की राजनीति के गिरते हुए ग्राफ का जिम्मेदार राहुल गांधी को ठहराया।  

जब गुलाम नबी के लिए छलके थे पीएम मोदी के आंसू

गुलाम नबी आजाद का राज्‍यसभा में जब आखिरी दिन था, तब पूरा सदन गमगीन हो गया था। पीएम मोदी समेत विपक्ष के नेता भी इस दौरान काफी भावुक हो गए थे। इस दौरान पीएम मोदी ने एक घटना का जिक्र किया और वो रो पड़े। पीएम मोदी ने बताया कि गुजरात के श्रद्धालुओं को जब जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने मार दिया तब सबसे पहले मुझे गुलाम नबी आजाद का फोन आया। वो फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था। फोन पर उनके आंसू रुक नहीं रहे थे. उस समय प्रणब मुखर्जी मंत्री थे। तो मैंने उनसे कहा कि अगर शवों को लाने के लिए हेलिकॉप्टर मिल जाए क्योंकि रात बहुत हो गई थी। तब प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि आप चिंता मत करिए, मैं व्यवस्था करता हूं। लेकिन रात में फिर गुलाम नबी आजाद का फोन आया. वो उस वक्त एयरपोर्ट पर थे। उस रात को उन्होंने मुझे एयरपोर्ट से फोन किया। जैसे कोई अपने परिवार के सदस्य की चिंता करता है उन्होंने वैसे उनकी चिंता की। पद सत्ता जीवन में आती रहती है, लेकिन उसको कैसे पचाना है, ये गुलाम नबी आजाद से सीखना चाहिए।

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