Madhya Pradeshराज्य

MP: देवास में डिजिटल अरेस्ट गिरोह का पर्दाफाश, सीबीआई अधिकारी बनकर करते देते थे ठगी

MP Digital Arrest : मध्य प्रदेश में डिजीटल अरेस्ट कर लोगों को लूटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. इसी कड़ी में देवास जिले की सतवास थाना पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी करने वाले एक संगठित गिरोह को पकड़ने में बड़ी सफलता हासिल की है. इस गिरोह ने सतवास के एक व्यक्ति को पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर डराया और मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे मामले में फंसाकर 20.81 लाख रुपये की ठगी की. पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो दिल्ली, महाराष्ट्र, इंदौर और नीमच जैसे क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं. यह गिरोह अत्याधुनिक तकनीकों और सोशल मीडिया का उपयोग कर लोगों को जाल में फंसाता था.


फर्जी कॉल से शुरू हुई ठगी की साजिश

सतवास निवासी प्रमोद गौर को 24 जून 2025 को एक फोन कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताया. उसने दावा किया कि प्रमोद का नाम नरेश गोयल के साथ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में जुड़ा है और उनके नाम पर केनरा बैंक, मुंबई में एक खाता है, जिसकी सीबीआई जांच चल रही है. कॉलर ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नोटिस सोशल मीडिया के जरिए भेजे गए हैं. इस तरह की धमकी भरी बातों से पीड़ित को डराने की शुरुआत हुई.


सीबीआई चीफ बनकर वीडियो कॉल पर डराया

कॉल के बाद, प्रमोद को एक वीडियो कॉल आया, जिसमें आरोपी ने खुद को सीबीआई चीफ आकाश कुलहरि बताया. इस कॉल में उन्हें डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाया गया और कहा गया कि उनके बैंक खाते में मौजूद राशि का सुप्रीम कोर्ट द्वारा सत्यापन किया जाएगा. इस झांसे में आकर प्रमोद ने डर के मारे 20.81 लाख रुपये अलग-अलग खातों में आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर कर दिए. इस तरह ठगों ने तकनीक और मनोवैज्ञानिक दबाव का इस्तेमाल कर ठगी को अंजाम दिया. पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है, पकड़े गए आरोपियों में संजय उर्फ संजू के खिलाफ पहले से हत्या और अन्य धाराओं में मामले दर्ज हैं, जो इस गिरोह की आपराधिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है.


कमीशन के लालच में बैंक खाते किराए पर

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर लोगों को मोटा कमीशन देने का लालच देता था. इसके बदले में वे लोगों के बैंक खाते किराए पर लेते थे. इन खातों का इस्तेमाल ठगी की राशि जमा करने के लिए किया जाता था. आरोपी एक शहर से दूसरे शहर में हवाई यात्रा कर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे, जिससे उनकी गतिविधियां और भी सुनियोजित और जटिल हो जाती थीं.


मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में 37 ठगी की वारदातें

पुलिस के अनुसार, इस गिरोह ने न केवल देवास बल्कि मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में भी डिजिटल अरेस्ट के जरिए 37 ठगी की वारदातों को अंजाम दिया है. यह गिरोह संगठित तरीके से काम करता था और फर्जी कॉल, वीडियो कॉल, और नकली दस्तावेजों के जरिए लोगों को डराकर ठगी करता था. इस तरह की घटनाएं साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती को दर्शाती हैं.


पुलिस की सतर्कता और कार्रवाई

देवास पुलिस अधीक्षक पुनीत गेहलोद के नेतृत्व में सतवास थाना पुलिस ने तकनीकी जांच और सूचना के आधार पर इस गिरोह को पकड़ने में सफलता हासिल की. पुलिस ने आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल किए गए उपकरण और दस्तावेज भी बरामद किए हैं. इस कार्रवाई से न केवल पीड़ित को न्याय की उम्मीद जगी है, बल्कि यह भी स्पष्ट हुआ है कि पुलिस साइबर अपराधों से निपटने के लिए सक्रिय और सक्षम है.


साइबर ठगी से बचाव के लिए सावधानी जरूरी

यह मामला साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे को उजागर करता है. पुलिस और विशेषज्ञों का कहना है कि अनजान नंबरों से आने वाली कॉल्स और वीडियो कॉल्स पर तुरंत भरोसा न करें. कोई भी सरकारी अधिकारी या जांच एजेंसी वीडियो कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट की धमकी नहीं देती. अगर ऐसी कोई कॉल आए, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें. यह कार्रवाई साइबर अपराधों के खिलाफ एक बड़ी जीत है, लेकिन आम लोगों को भी जागरूक रहकर ऐसे ठगों के जाल में फंसने से बचना होगा.


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