युवराज सिंह के कैंसर से जंग जीतने के बाद सचिन ने दी थी स्पेशल ट्रेनिंग

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सचिन तेंदुलकर ने कैंसर के कारण खून की उल्टियां कर रहे युवराज सिंह को 2011 वर्ल्ड कप में स्पेशल ट्रेनिंग दी थी। भारत को बांग्लादेश के खिलाफ 19 फरवरी, 2011 से अपने विश्व कप अभियान की शुरुआत करनी थी। युवराज सिंह को कैंसर जैसी भयानक बीमारी है, इसका पता खिलाड़ियों को वर्ल्ड कप के बाद चला था। पर सचिन को इतना महसूस हो गया था कि युवी का एनर्जी लेवल पहले की तरह नहीं रहा।

 सचिन किसी भी सूरत में देश के लिए 2011 विश्व कप जीतना चाहते थे। इसलिए बांग्लादेश के खिलाफ होने वाले मैच से एक रात पहले सचिन ने युवी को अपने कमरे में बुलाया। वहां सचिन ने युवराज की परफॉर्मेंस के बारे में काफी देर तक बात की। सचिन जानते थे कि युवराज के बगैर भारत वर्ल्ड कप नहीं जीत पाएगा। पर चिंता की बात यह थी कि युवी बीमारी के कारण पहले की तरह जोशीले नहीं दिख रहे थे।

कल से मैं तुम्हारे लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाऊंगा-सचिन

सचिन ने बताया कि डिनर के लिए कमरे से बाहर निकलने से ठीक पहले मैंने युवी से कहा, कल से मैं तुम्हारे लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाऊंगा। इसकी शुरुआत फील्डिंग से होगी। तुम बहुत अच्‍छे फील्‍डर थे लेकिन अब मुझे लगता है तुम्‍हारी ऊर्जा का स्‍तर थोड़ा गिर गया है। मुझे उम्मीद है कि तुम थोड़ा और जोर लगाओगे। अगर चाहो तो हम दोनों साथ में प्रैक्टिस कर सकते हैं।

मैं तुम्‍हारी परफारमेंस पर ईमानदारी से रिएक्‍शन दूंगा। सचिन ने कहा कि इसके बाद निश्चित तौर पर तुम्हारा ग्राफ ऊपर की तरफ जाएगा। सिर्फ तुम्हें कड़ी मेहनत जारी रखनी है। सचिन ने कहा कि हम दोनों वर्ल्ड कप खत्म होने तक साथ में अभ्यास जारी रखेंगे। युवराज सिंह की तबीयत ठीक नहीं थी लेकिन वह देश के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे। सचिन ने बाद में कहा था कि युवी ने सवा सौ करोड़ देशवासियों की उम्मीदों को पूरा करने में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी।

युवराज सचिन के साथ स्पेशल प्रैक्टिस सेशन का हिस्सा बने

युवराज सिंह सचिन तेंदुलकर को शुरू से अपना आदर्श मानते थे। युवी ने अगले दिन से ही सचिन के कहे अनुसार उनके साथ अभ्यास करना शुरू कर दिया। जिस वक्त बाकी खिलाड़ी प्रैक्टिस सेशन खत्म होने के बाद होटल के कमरों में चले जाते थे, उस वक्त भी युवराज सचिन के साथ स्पेशल प्रैक्टिस सेशन का हिस्सा बनते थे। सचिन तेंदुलकर युवराज की गेंदबाजी का भी सामना करते थे।

 इसका नतीजा रहा कि युवराज ने 2011 विश्व कप में 4 अर्धशतक और 1 शतक की बदौलत 362 रन बनाने के साथ ही 15 विकेट भी चटकाए थे। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझते हुए भी युवी निरंतर अभ्यास के दम पर मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीत पाए थे। वर्ल्ड कप के दौरान खून की उल्टी होने पर युवी ने कहा था, मैं मर भी जाऊं तो भी वर्ल्ड कप भारत ही जीते। मास्टर ब्लास्टर के साथ मिलकर आखिरकार यह सपना साकार हो गया।