कनाडा चुनाव में जगमीत सिंह की बड़ी हार, खालिस्तान समर्थक नेता को जनता ने नकारा

Jagmeet Singh election defeat :

जगमीत सिंह की चुनावी हार और इस्तीफा: भारत-कनाडा संबंधों में नया अध्याय

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Jagmeet Singh election defeat : कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह को 2025 के कनाडाई संघीय चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के कुछ घंटों बाद ही 46 वर्षीय सिंह ने पार्टी नेतृत्व से इस्तीफा दे दिया। वहीं एनडीपी, हाउस ऑफ कॉमन्स में 12 सीटों की न्यूनतम सीमा को पार नहीं कर सकी, जिस वजह से उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी गंवाना पड़ा।

बता दें इस हार को भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण राजनयिक और व्यापारिक संबंधों को फिर से पटरी पर लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है।

लिबरल पार्टी के वेड चांग ने जगमीत सिंह को हराया

ब्रिटिश कोलंबिया के बर्नाबी सेंट्रल सीट से खड़े हुए जगमीत सिंह को लिबरल पार्टी के वेड चांग ने हरा दिया। एनडीपी, जिसे इस चुनाव में ‘किंगमेकर’ माना जा रहा था, महज सात सीटें जीतकर चौथे स्थान पर रही। यव-फ्रांकोइस ब्लैंशे की ब्लॉक क्यूबेक्वा को 23 सीटें मिलीं, जबकि पियरे पोइलीवर की कंजरवेटिव पार्टी ने 147 सीटें जीतकर सबसे बड़ा दल बनकर उभरी।

जगमीत सिंह ने एक्स पर किया ट्वीट

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दिए गए बयान में सिंह ने कहा, एनडीपी का नेतृत्व करना और बर्नाबी सेंट्रल की जनता का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है। प्रधानमंत्री कार्नी और अन्य सभी नेताओं को इस कठिन अभियान के लिए बधाई। मुझे पता है कि यह रात न्यू डेमोक्रेट्स के लिए निराशाजनक है।

‘मैं निराश हूं कि हम अधिक सीटें नहीं जीत सके’

उन्होंने हार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मैं निराश हूं कि हम अधिक सीटें नहीं जीत सके। लेकिन मैं अपने आंदोलन से निराश नहीं हूं। मैं अपनी पार्टी के लिए आशान्वित हूं। मैं जानता हूं कि हम हमेशा डर के बजाय उम्मीद को चुनेंगे। बता दें कि उन्होंने आठ साल तक पार्टी अध्यक्ष रहने के बाद पार्टी प्रमुख का पद छोड़ दिया।

जगमीत सिंह ने कहा, लेकिन हम तभी हारते हैं जब हम उन लोगों पर विश्वास करते हैं जो हमें कहते हैं कि हम कभी भी एक बेहतर कनाडा का सपना नहीं देख सकते। मैं अक्सर अपनी मां द्वारा मुझे दी गई एक सीख के बारे में बात करता हूं: सिख धर्म की शिक्षा ‘चढ़दी कला’। इसका अर्थ है ‘उत्थानशील मनोबल’। संघर्ष पर आशावाद। यही भावना मैं आज रात लेकर आया हूं।”

भारत पर बेबुनियाद आरोपों का अंत?

जगमीत सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो दोनों ने ही भारत सरकार पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्त होने के गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि, जनवरी 2025 में एक कनाडाई आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि इस हत्याकांड में किसी विदेशी राज्य की “निर्णायक भूमिका” सिद्ध नहीं हो सकी है।

भारत ने शुरुआत से ही इन आरोपों को “बेतुके और निराधार” बताया था और सबूतों की मांग की थी, जो कभी प्रस्तुत नहीं किए गए।

भारत-कनाडा संबंधों के लिए नई शुरुआत

जगमीत सिंह की राजनीतिक पराजय और इस्तीफे के बाद, नई लिबरल सरकार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की उम्मीद जताई जा रही है।

2023 में दोनों देशों के बीच व्यापार 9 अरब डॉलर से अधिक था, लेकिन निज्जर हत्याकांड और खालिस्तान मुद्दे को लेकर संबंधों में तीखी गिरावट आई थी। अब, जब सिंह और ट्रूडो जैसे भारत विरोधी स्वर राजनीति से बाहर हो रहे हैं, तो कूटनीतिक और व्यापारिक सहयोग के नए द्वार खुल सकते हैं।

खालिस्तानी राजनीति के समर्थक रहे हैं जगमीत सिंह

जगमीत सिंह खालिस्तानी राजनीति के मुखर समर्थक रहे हैं, उनके विचार अक्सर खालिस्तानी आंदोलन के उद्देश्यों से जुड़े रहे हैं, जो भारत में एक अलग सिख राज्य स्थापित करना चाहता है। ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में नई दिल्ली की संलिप्तता के ओटावा के आरोपों के बाद जब भारत-कनाडा संबंध बिगड़ गए, तो सिंह पूर्व कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो का समर्थन करने वाले एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरे।

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