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Disha Ramlila Moscow Ayodhya 2025: अयोध्या में जगमगाएगा रूस का जज्बा, ‘दिशा रामलीला मॉस्को’ पेश करेगी श्रीराम भक्ति की अमर गाथा

अहम बातें एक नजर में :

Disha Ramlila Moscow Ayodhya 2025 : जब दीपों की रौशनी हर गली-कूचे को सुनहरे रंगों में नहलाएगी और “जय श्रीराम” की गूंज आकाश में गूंज उठेगी, तब उस पवित्र मंच पर कुछ अनोखा होने जा रहा है. इस बार सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि रूस की मिट्टी से उठी रामभक्ति की खुशबू भी अयोध्या की हवाओं में घुल जाएगी. अयोध्या शोध संस्थान के आमंत्रण पर, रशियन-इंडियन फ्रेंडशिप सोसाइटी “दिशा” दीपोत्सव 2025 में अपनी विश्वविख्यात प्रस्तुति “दिशा रामलीला मॉस्को” के साथ एक बार फिर इतिहास दोहराने जा रही है. यह मंचन केवल एक नाट्य प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारत और रूस की सांस्कृतिक एकता, भक्ति और दोस्ती का जीवंत प्रतीक बनने वाला है. जहां श्रीराम की गाथा सीमाओं से परे, दो देशों के दिलों को जोड़ देगी.


रशियन राम गन्नादी पेचनिकोव को समर्पित

यह रामलीला पद्मश्री गन्नादी मिखाइलोविच पेचनिकोव की पावन स्मृति को समर्पित है. वही पेचनिकोव जिन्हें प्यार से “रशियन राम” कहा जाता था. उन्होंने 1960 के दशक में रूस में रामायण की कथा को मंच पर जीवंत कर दिया था. श्रीराम के आदर्शों, प्रेम, और धर्मयुद्ध की उस गाथा ने सोवियत भूमि पर भी भारतीय संस्कृति की महक फैला दी थी. भारत सरकार ने उनके योगदान को देखते हुए उन्हें बाल मित्र पदक और पद्मश्री सम्मान से नवाजा था.


दिशा रामलीला मॉस्को: अयोध्या दीपोत्सव 2025 में भव्य वापसी

करीब चालीस बरसों के बाद, “दिशा” संस्था ने पेचनिकोव की याद में इस परंपरा को फिर से जिंदा किया. 2018 में अयोध्या के दीपोत्सव में इसका पुनर्प्रदर्शन हुआ, फिर कुंभ मेला 2019 प्रयागराज में, और उसके बाद दीपोत्सव 2022 व 2023 में भी “दिशा रामलीला मॉस्को” ने अपनी नाट्य कला से सबका दिल जीत लिया.

अब 18-19 अक्टूबर 2025 को, अयोध्या के अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव मंच पर एक बार फिर रूस की यह रामलीला अपनी भव्यता बिखेरेगी. यह आयोजन भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन की उस दिव्य कथा का उत्सव होगा – जो प्रकाश की अंधकार पर विजय, प्रेम की घृणा पर जीत और एकता की मिसाल है.

रूसी-भारतीय मैत्री संघ “दिशा” के अध्यक्ष डॉ. रमेश्वर सिंह ने इस अवसर पर अपने हार्दिक शब्दों में कहा –


संस्कृति का संगम: रूस का ‘राम’ अयोध्या में रोशन करेगा मंच

“दिशा रामलीला” केवल एक नाट्य मंचन नहीं है, बल्कि यह दो देशों के दिलों को जोड़ने वाला सेतु है. जब रूस के कलाकार भारतीय परिधान पहनकर श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के रूप में मंच पर आते हैं, तो दर्शक केवल कला नहीं देखते — वे संस्कृतियों का संगम महसूस करते हैं.

अयोध्या के दीपोत्सव में इस वर्ष लाखों दीये जलेंगे, पर सबसे खास रोशनी उस मंच से फैलेगी जहाँ रूस का “राम” फिर से भारत में झलकेगा. यह दृश्य न सिर्फ श्रद्धा से भरा होगा, बल्कि यह बताएगा कि भले देश अलग हों, पर राम की मर्यादा और प्रेम की भाषा हर दिल में एक सी है.


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