
अहम बातें एक नजर में :
- कार्यक्रम: दीपोत्सव 2025, अयोध्या
- प्रस्तुति: दिशा रामलीला मॉस्को
- समर्पण: पद्मश्री गन्नादी मिखाइलोविच पेचनिकोव की स्मृति
- विशेषता: रूस के कलाकारों द्वारा भारतीय रामलीला का मंचन
- इतिहास: 2018 से पुनर्प्रदर्शन, कुंभ मेला 2019, दीपोत्सव 2022 और 2023
- तारीख: 18-19 अक्टूबर 2025
- अर्थ: भारत-रूस सांस्कृतिक मित्रता और भक्ति का प्रतीक
- मुख्य संदेश: प्रकाश की अंधकार पर विजय, प्रेम की घृणा पर जीत, और एकता की मिसाल
Disha Ramlila Moscow Ayodhya 2025 : जब दीपों की रौशनी हर गली-कूचे को सुनहरे रंगों में नहलाएगी और “जय श्रीराम” की गूंज आकाश में गूंज उठेगी, तब उस पवित्र मंच पर कुछ अनोखा होने जा रहा है. इस बार सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि रूस की मिट्टी से उठी रामभक्ति की खुशबू भी अयोध्या की हवाओं में घुल जाएगी. अयोध्या शोध संस्थान के आमंत्रण पर, रशियन-इंडियन फ्रेंडशिप सोसाइटी “दिशा” दीपोत्सव 2025 में अपनी विश्वविख्यात प्रस्तुति “दिशा रामलीला मॉस्को” के साथ एक बार फिर इतिहास दोहराने जा रही है. यह मंचन केवल एक नाट्य प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारत और रूस की सांस्कृतिक एकता, भक्ति और दोस्ती का जीवंत प्रतीक बनने वाला है. जहां श्रीराम की गाथा सीमाओं से परे, दो देशों के दिलों को जोड़ देगी.
रशियन राम गन्नादी पेचनिकोव को समर्पित
यह रामलीला पद्मश्री गन्नादी मिखाइलोविच पेचनिकोव की पावन स्मृति को समर्पित है. वही पेचनिकोव जिन्हें प्यार से “रशियन राम” कहा जाता था. उन्होंने 1960 के दशक में रूस में रामायण की कथा को मंच पर जीवंत कर दिया था. श्रीराम के आदर्शों, प्रेम, और धर्मयुद्ध की उस गाथा ने सोवियत भूमि पर भी भारतीय संस्कृति की महक फैला दी थी. भारत सरकार ने उनके योगदान को देखते हुए उन्हें बाल मित्र पदक और पद्मश्री सम्मान से नवाजा था.
दिशा रामलीला मॉस्को: अयोध्या दीपोत्सव 2025 में भव्य वापसी
करीब चालीस बरसों के बाद, “दिशा” संस्था ने पेचनिकोव की याद में इस परंपरा को फिर से जिंदा किया. 2018 में अयोध्या के दीपोत्सव में इसका पुनर्प्रदर्शन हुआ, फिर कुंभ मेला 2019 प्रयागराज में, और उसके बाद दीपोत्सव 2022 व 2023 में भी “दिशा रामलीला मॉस्को” ने अपनी नाट्य कला से सबका दिल जीत लिया.
अब 18-19 अक्टूबर 2025 को, अयोध्या के अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव मंच पर एक बार फिर रूस की यह रामलीला अपनी भव्यता बिखेरेगी. यह आयोजन भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन की उस दिव्य कथा का उत्सव होगा – जो प्रकाश की अंधकार पर विजय, प्रेम की घृणा पर जीत और एकता की मिसाल है.
रूसी-भारतीय मैत्री संघ “दिशा” के अध्यक्ष डॉ. रमेश्वर सिंह ने इस अवसर पर अपने हार्दिक शब्दों में कहा –
“हम उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, भारत के रूस में राजदूत श्री विनय कुमार, रूस के भारत में राजदूत श्री डेनिस एवगेनियेविच अलीपोव, तथा जवाहरलाल नेहरू कल्चरल सेंटर, मॉस्को की निदेशक श्रीमती मधुर कंकना रॉय का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं. इन सबके सहयोग से भारत-रूस की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक डोर और भी मजबूत हुई है.”
संस्कृति का संगम: रूस का ‘राम’ अयोध्या में रोशन करेगा मंच
“दिशा रामलीला” केवल एक नाट्य मंचन नहीं है, बल्कि यह दो देशों के दिलों को जोड़ने वाला सेतु है. जब रूस के कलाकार भारतीय परिधान पहनकर श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के रूप में मंच पर आते हैं, तो दर्शक केवल कला नहीं देखते — वे संस्कृतियों का संगम महसूस करते हैं.
अयोध्या के दीपोत्सव में इस वर्ष लाखों दीये जलेंगे, पर सबसे खास रोशनी उस मंच से फैलेगी जहाँ रूस का “राम” फिर से भारत में झलकेगा. यह दृश्य न सिर्फ श्रद्धा से भरा होगा, बल्कि यह बताएगा कि भले देश अलग हों, पर राम की मर्यादा और प्रेम की भाषा हर दिल में एक सी है.
यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव का फेसबुक पेज बहाल, ब्लॉक होने की असली वजह आई सामने
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप