
हाइलाइट्स :-
- एनआरसी की आशंका से मुर्शिदाबाद में डिजिटल सर्टिफिकेट बनवाने की होड़
- नगरपालिका कार्यालयों में भीड़, स्टाफ पर बढ़ा दबाव
- अधिकारी बोले: मैनुअल प्रमाण पत्र भी मान्य, घबराने की जरूरत नहीं
West Bengal News : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में इन दिनों डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र को लेकर अचानक जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है. सुबह से लेकर देर शाम तक लोग नगरपालिका कार्यालयों के बाहर कतार में खड़े नजर आ रहे हैं. इसका कारण लोगों में फैला यह डर है कि राज्य में भी बिहार की तर्ज पर वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के बीच यह आशंका और भी गहराई है कि यदि दस्तावेज सही नहीं हुए तो उनकी नागरिकता पर खतरा मंडरा सकता है.
अफवाहों से बढ़ा डर, सोशल मीडिया ने और भड़काया
एनआरसी जैसी प्रक्रिया की आशंका और सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है. बंगाल से बाहर काम के सिलसिले में गए कुछ मजदूरों को कथित तौर पर बांग्लादेशी बताकर निकाले जाने की खबरों ने भी समुदाय विशेष के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है. माता-पिता तक को चिंता सता रही है कि उनके बच्चों को कहीं अवैध प्रवासी मानकर परेशान न किया जाए.
नगरपालिका कार्यालयों पर दबाव, स्टाफ बढ़ाया गया
बेहरामपुर नगरपालिका में पहले जहां रोजाना 50 से 60 डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जाते थे, वहीं अब यह संख्या 1,000 तक पहुंच गई है. 2 सितंबर को कर्मचारियों ने रिकॉर्ड स्तर पर सर्टिफिकेट जारी किए, लेकिन इसके बावजूद लोगों की भीड़ लगातार बनी रही. नगरपालिका अध्यक्ष नारू गोपाल मुखर्जी ने बताया कि स्थिति संभालना मुश्किल हो गया है, जिसके चलते 20 अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए गए हैं और विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं.
आवेदन करने वालों में से करीब 98% अल्पसंख्यक समुदाय से और लगभग 99% ग्रामीण क्षेत्रों से हैं.
कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ा
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार पार्थ सारथी रॉय ने बताया कि बढ़ती भीड़ की वजह से कर्मचारियों पर जबरदस्त दबाव है. उन्होंने कहा कि कई लोगों को यह समझाना मुश्किल हो रहा है कि यदि उनके पास बिना त्रुटि वाला प्रमाण पत्र है तो डिजिटल प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. फिर भी पासपोर्ट या सरकारी वेरिफिकेशन जैसी खास जरूरतों के लिए डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं.
लालबाग क्षेत्र में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है. वहां के नगरपालिका अध्यक्ष इंद्रजीत धर ने बताया कि आवेदन करीब 30% तक बढ़ चुके हैं और अस्पतालों के काउंटर तक इसका असर दिख रहा है.
प्रशासन ने लोगों से की अपील
जिलाधिकारी राजर्षि मित्रा ने लोगों को आश्वस्त किया है कि मैनुअल सर्टिफिकेट अमान्य नहीं हुए हैं और उन्हें लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि डिजिटल सर्टिफिकेट बनवाना लोगों का अधिकार है, लेकिन यह निर्णय अफवाहों के आधार पर नहीं होना चाहिए. उन्होंने माना कि अफवाहें तेजी से फैलती हैं जबकि सच्चाई लोगों तक देर से पहुंचती है.
यह भी पढ़ें : संयुक्त राष्ट्र में भारत का संदेश, यूक्रेन में निर्दोषों की मौत अस्वीकार्य
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप