
AAP On Fee Hike : आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार से स्कूल फीस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि इस बिल पर अभी तक किसी से कोई रायशुमारी नहीं की गई है, इसलिए इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए. इस कमेटी में आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों के विधायक शामिल होंगे, जो जनता से इस बिल पर राय लेंगे. आतिशी ने कहा कि जब तक जनता की रायशुमारी नहीं होती, तब तक पिछले साल की फीस को ही लागू किया जाना चाहिए और इस साल बढ़ी हुई फीस को रद्द कर दिया जाए.
फीस वृद्धि और शिक्षा के बाजारीकरण की आलोचना
आम आदमी पार्टी के नेता अनिल झा ने भी बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार का ध्यान केवल पब्लिक स्कूलों तक सीमित है. उन्होंने बताया कि यह बिल अगस्त में लाया गया जबकि यदि इसे मार्च-अप्रैल में लाया गया होता, तो स्कूलों द्वारा मनमाना फीस वृद्धि नहीं होती. अनिल झा ने आरोप लगाया कि अभिभावक फीस बढ़ोतरी के विरोध में लंबे समय तक अपने बच्चों के स्कूलों के बाहर मदद मांगते रहे, लेकिन सरकार ने इसे जानबूझकर स्थगित रखा. उन्होंने बताया कि इस बिल के जरिए स्कूलों को फीस बढ़ाने का अधिकार दिया गया है, जिससे शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ावा मिलता है.

सरकारी जमीन पर बने स्कूलों की फीस वसूली और मध्यम वर्ग पर प्रभाव
अनिल झा ने कहा कि जिन स्कूलों को सरकारी जमीन आवंटित की गई है, वे भी अभिभावकों से भारी फीस वसूल रहे हैं. स्कूलों के पास करोड़ों रुपये की सावधि जमा (एफडी) होती है, जिससे वे अपने खर्चे चलाते हैं, फिर भी फीस बढ़ाते हैं. इसके अलावा, स्कूलों से जूते, यूनिफॉर्म, खेलकूद और आयोजनों के नाम पर अलग-अलग शुल्क वसूलना मध्यम वर्ग के लिए भारी बोझ बन गया है. उन्होंने कहा कि यह पूरी व्यवस्था जनता के खिलाफ है और सरकार किसी भी मुद्दे पर सुनवाई के लिए तैयार नहीं है. अब आम आदमी पार्टी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करने के लिए तैयार है.
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