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अगर मल्लाह का बेटा डिप्टी सीएम बन सकता है तो मोहम्मद का बेटा क्यों नहीं, बिहार चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी का महागठबंधन पर तंज

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  • ओवैसी बोले, मुसलमान भी बने CM
  • किशनगंज में तेजस्वी पर निशाना
  • सीमांचल की अनदेखी पर सवाल
  • जदयू-राजद पर ठगने का आरोप
  • जनता से बदलाव की अपील

Bihar Election 2025 : बिहार में चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है. इसी बीच AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि अगर मल्लाह का बेटा डिप्टी सीएम बन सकता है, तो मुसलमान का बेटे भी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता है. किशनगंज में चुनावी सभा के दौरान ओवैसी ने कहा, “तेजस्वी यादव के साथ बैठे VIP पार्टी के मुकेश साहनी ने ऐलान किया कि मल्लाह समाज तेजस्वी के साथ है. मल्लाह समुदाय बिहार की आबादी का लगभग 3 प्रतिशत हिस्सा है.”

मुसलमान का बेटा भी बन सकता है मुख्यमंत्री

ओवसी ने कहा, “उन्होंने ऐलान किया कि अगर उनकी पार्टी को सत्ता मिली तो वे उपमुख्यमंत्री बनेंगे. अगर मल्लाह समुदा का बेटा उप-मुख्यमंत्री बन सकता है, तो बिहार के 17% अल्पसंख्यक समुदाय के लोग क्या वे सिर्फ दरी बिछाने के लिए हैं. मुसलमान का बेटा भी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन सकता है. हमें अपने हक और मकसद को पाने से कोई नहीं रोक सकता.

सीमांचल की अनदेखी क्यों,

टेढ़ागाछ स्टेडियम में बुधवार को आययोजित जनसभा में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अब तक सभी सरकारों ने सीमांचल की अनदेखी की है. उन्होंने आरोप लगाया कि जदयू और राजद दोनों ने मुसलमानों के साथ धोखा किया है. ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब महज तीन फीसदी आबादी वाले समुदाय के नेता को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, तो फिर प्रदेश की 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले मुस्लिम समुदाय को यह हक क्यों नहीं मिला?

35 साल बाद भी सीमांचल पिछड़ा

ओवैसी ने कहा कि बिहार में 15 साल राजद और 20 साल नीतीश कुमार की सरकार रहने के बावजूद सीमांचल आज तक पिछड़ा है. ओवैसी ने सीमांचल की समस्याओं बाढ़, खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और उच्च शिक्षा के अभाव को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों पर जमकर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि पटना और आसपास के जिलों में बड़े कॉलेज, स्टेडियम और सड़कें बनीं, लेकिन सीमांचल अब भी उपेक्षित है. ओवैसी ने लोगों से अपील की कि इस बार सीमांचल के लोग अपने हक और विकास के लिए खुद फैसला करें और उन दलों को सबक सिखाएं जिन्होंने वर्षों से केवल वादे किए हैं, काम नहीं.

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