
Punjab Martyr : देश के लिए लद्दाख की कठिन सीमाओं पर ड्यूटी निभाते हुए शहीद हुए भारतीय सेना के जवान ए.एल.डी. दलजीत सिंह की स्मृति में गांव गाल्हड़ी के गुरुद्वारा श्री टाहली साहिब में श्री अखंड पाठ साहिब का भोग और अंतिम अरदास का आयोजन किया गया. गांव के लोगों, नेताओं और अफसरों की भारी मौजूदगी ने इस श्रद्धांजलि सभा को एक भावुक लेकिन गौरवपूर्ण पल बना दिया. कार्यक्रम के दौरान रागी जत्थे द्वारा भावपूर्ण कीर्तन किया गया, जिसमें सभी ने शहीद को नम आंखों से याद किया.
सरकार की तरफ से सहायता की घोषणाएं
पंजाब सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री मोहिंदर भगत श्रद्धांजलि देने पहुंचे. उन्होंने कहा कि पंजाब को अपने इस वीर जवान पर गर्व है और सरकार शहीद परिवार के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है. उन्होंने बताया कि वे मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से परिवार को समर्थन देने और संवेदना व्यक्त करने आए हैं.

मंत्री ने बताया कि शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. इसमें से 6 लाख रुपये का चेक मौके पर सौंपा गया, जबकि शेष 94 लाख रुपये जल्द ही कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद दिए जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने शहीद के पिता गुलजार सिंह को सम्मानित भी किया और कहा कि शहीदों के परिवार समाज की सबसे बड़ी पूंजी हैं.
सरकार की घोषणाएं :
- शहीद के भाई को सरकारी नौकरी दी जाएगी
- गांव के स्कूल का नाम शहीद दलजीत सिंह के नाम पर रखा जाएगा
- गांव के मुख्य द्वार पर शहीद की याद में स्मारक गेट बनाया जाएगा
नेताओं, अफसरों और समाज के लोगों की भागीदारी
श्रद्धांजलि समारोह में पंजाब हेल्थ सिस्टम्स कॉरपोरेशन के चेयरमैन श्री रमन बहल, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री शमशेर सिंह, जिला प्रधान जोबन रंधावा, एस.डी.एम. दीनानगर श्री जसपिंदर सिंह भुल्लर, जिला रक्षा सेवाएं कल्याण अधिकारी (से.नि.) कमांडेंट बलजिंदर विर्क, और अन्य कई अधिकारी व नेता शामिल रहे.
इसके अलावा बलजीत सिंह खालसा, कुंवर रिकी, सरपंच रणजीत सिंह, सरपंच जोगा सिंह, ब्लॉक प्रमुख जसबीर सिंह, शिक्षा समन्वयक सुखदेव राज, अनूप ठाकुर, राजेश कुमार, सुखविंदर सिंह चौहान, और क्षेत्र के कई अन्य गणमान्य लोग और आम ग्रामीण भी इस अवसर पर मौजूद रहे.
सरकार और समाज ने मिलकर निभाया फर्ज़
यह श्रद्धांजलि केवल एक रस्म नहीं थी, बल्कि पंजाब के एक सच्चे सपूत को सम्मान देने का प्रतीक थी.
शहीद दलजीत सिंह का बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा, और पंजाब सरकार का यह कदम एक स्पष्ट संदेश देता है कि जो भी देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करता है, उसका परिवार अकेला नहीं होता.
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