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जातिसूचक गानों के कुचक्र में फंसी भोजपुरी इंडस्ट्री, मामला सीएम नीतीश कुमार तक पहुंचा

Bihar News: भोजपुरी, बिहार की वह भाषा जो अपनी मिठास, भाषा की सोंधी महक के लिए जानी जाती है, इन दिनों विवादों में घिर गई है। कभी शारदा सिन्हा के गाए गीतों के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार हुई भोजपुरी का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। पैसे कमाने की होड़ और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ ने इस इंडस्ट्री और भोजपुरी गानों को जातिगत विद्वेश में धकेल दिया है।

आजकल छुटभैये गायक और भोजपुरी के सितारे दिन-रात ऐसे-ऐसे गाने बना रहे हैं जिससे बिहार में सामाजिक समरसता के बिगड़ने का खतरा बढ़ गया है। इसी बात से चिंतित होकर खुद कई अश्लील गानों को गाने वाले गायक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर जातिसूचक भोजपुरी गानों को बनाने और गाने पर रोक लगाने की मांग की है।

भोजपुरी के पावर स्टार के नाम से मशहूर पवन सिंह ने बिहार सरकार से अपील की है। अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से पवन सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कानून बनाने की मांग की है। पवन सिंह ने अपील करते हुए कहा कि बिहार की संस्कृति में भोजपुरी भाषा का बहुत बड़ा महत्व है।

पवन सिंह ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘बिहार की पहचान भोजपुरी भाषा है। जिस तरह से हालिया दिनों में भोजपुरी गानों में जातिवादीता का असर देखने को मिल रहा है यह आने वाले समय के लिए शुभ संकेत नहीं है। लिहाजा इस पर सख्ती बरतने की जरूरत है और कैबिनेट इस पर कोई कड़ा कानून बनाए ताकि इस तरह के गाने रिलीज ना हो और समाज में कोई विद्वेष पैदा ना हो।’

हालांकि भले ही पवन सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील की है लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस पोस्ट के माध्यम से पवन सिंह ने कहीं ना कहीं सुपरस्टार खेसारी लाल यादव पर निशाना साधा है, क्योंकि अक्सर पवन सिंह और खेसारी लाल यादव के बीच विवाद होता रहता है। पवन सिंह हमेशा खेसारी लाल यादव पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जातिवाद फैलाने का आरोप लगाते रहते हैं।

कुछ दिन पहले ही पवन सिंह ने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान खेसारी लाल यादव पर जमकर कटाक्ष किया था। इसका खेसारी लाल यादव ने पुरजोर विरोध किया था। पवन सिंह भले ही आज भोजपुरी गीतों को लेकर सवाल उठा रहे हैं लेकिन इसको लेकर पवन सिंह भी सवाल उठ रहे हैं।

कई गानों में पवन सिंह ने खुद भी जातिसूचक शब्द का प्रयोग किया है। बबुआन, राजपूतान जैसे गानों के माध्यम से पवन सिंह ने जातिवाद को एक तरह से बढ़ावा दिया है। दूसरी तरफ खेसारी लाल यादव के गानों में भी यादवों का अक्सर जिक्र होता है। इनके इन गानों पर मिलियन व्यू आते हैं।

इसके बाद छोटे कलाकार भी बिना सोचे-समझे इसमें उलझ जाते हैं। इसकी वजह से समाज में विद्वेष फैल रहा है और एक बार फिर से बिहार की किरकिरी हो रही है।

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