Yashasvi Jaiswal ने रचा इतिहास, डेब्यू टेस्ट में किया ये कारनामा

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मैन ऑफ द मैच यशस्वी जायसवाल के 171 रन और अश्विन के 12 विकेट की बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज को पहले टेस्ट में 1 पारी और 141 रन से हरा दिया है। कप्तान रोहित शर्मा ने भी 221 गेंदों पर 10 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 103 रनों की शानदार शतकीय पारी खेली। विराट कोहली ने 182 गेंद पर 5 चौकों की मदद से 76 रनों की परफेक्ट टेस्ट इनिंग खेली।

 टीम इंडिया ने 5 विकेट के नुकसान पर 421 रन बनाकर पारी घोषित की और बदले में वेस्टइंडीज को दूसरी पारी में सिर्फ 130 रनों पर समेट दिया। विंडीज पहली इनिंग में भी 150 रन ही बना सकी थी। पहली पारी में पंजा खोलने वाले अश्विन ने दूसरी पारी में भी 71 रन देकर 7 शिकार किए। अपने डेब्यू टेस्ट में मैन ऑफ द मैच का खिताब जीतने वाले यशस्वी सातवें भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।

यशस्वी से पहले ये भी खिलाड़ी कारनामा कर चुके

 यशस्वी से पहले प्रवीण आमरे, आरपी सिंह, अश्विन, शिखर धवन, रोहित शर्मा और पृथ्वी शॉ यह कारनामा कर चुके हैं। जीत के बाद आर. अश्विन ने कहा कि मैंने भी साल 2011 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ दोनों पारियों को मिलाकर 9 विकेट चटकाए थे और डेब्यू टेस्ट में मैन ऑफ द मैच चुना गया था। यशस्वी की शुरुआत शानदार रही है और मुझे लगता है कि वह आने वाले समय में भारतीय टीम का मैच विनर खिलाड़ी बनेगा।

आर. अश्विन ने कहा कि हमने यशस्वी में रनों की भूख देखी है और वह शतकों को बड़े स्कोर में तब्दील करना जानता है। यशस्वी जायसवाल ने इतिहास रच दिया। 21 साल की उम्र में उन्होंने टेस्ट डेब्यू पर शतक जड़ दिया। यशस्वी डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने वाले तीसरे भारतीय सलामी बल्लेबाज बन गए हैं। वेस्टइंडीज के खिलाफ डोमिनिका टेस्ट में उन्होंने 387 गेंदों का सामना किया और 171 रन बनाए।

 शिखर धवन ने 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टेस्ट में और पृथ्वी शॉ ने 2018 में वेस्टइंडीज के खिलाफ राजकोट में डेब्यू टेस्ट में बतौर सलामी बल्लेबाज शतक जड़ा था। यशस्वी ने विदेशी जमीन पर डेब्यू करते हुए पहले ही टेस्ट में शतक लगाकर नया कीर्तिमान बना दिया। वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय ओपनर हैं। यशस्वी ने अपनी बल्लेबाजी में कमाल का संयम दिखाया। इस पूरी पारी में यशस्वी के बल्ले से 16 चौके और 1 छक्का आया। डेब्यू टेस्ट में 150 रनों का आंकड़ा पार करने वाले यशस्वी भारत के तीसरे बल्लेबाज बन गए।

इससे पहले शिखर धवन ने अपने डेब्यू टेस्ट में 187 और रोहित शर्मा ने 177 रनों की पारी खेली थी। मैन ऑफ द मैच का खिताब जीतने के बाद यशस्वी जायसवाल खासे भावुक नजर आए। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा है। यशस्वी ने गरीबी को जिया है और ऐसे में उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनकी मेहनत इतनी जल्दी इस कदर रंग लाएगी।

यशस्वी को सलामी बल्लेबाजी का मौका

कप्तान रोहित शर्मा ने शुभमन गिल को फर्स्ट डाउन भेजते हुए यशस्वी को सलामी बल्लेबाजी का मौका दिया। यशस्वी ने मौके की नजाकत को समझते हुए कप्तान के साथ 75.3 ओवर में 229 रन जोड़ दिया। इसके बाद रोहित जरूर 10 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 103 रन बनाकर चलते बने, लेकिन यशस्वी ने एक पल के लिए भी अपना ध्यान भंग नहीं होने दिया। दूसरे दिन जब भारतीय सलामी बल्लेबाज मैदान पर उतरे, तब विकेट स्पिनर्स के लिए खासा अनुकूल नजर आ रही थी। गेंदे काफी ज्यादा घूम रही थीं।

रोहित शर्मा 39 टेस्ट पारियों में अब बतौर ओपनर सर्वाधिक 7 टेस्ट शतक लगा चुके हैं, ऐसे में उन्हें ऐसी परिस्थितियों का सामना करने का अनुभव है। पर यशस्वी ने डेब्यू टेस्ट में जिस तरीके से अच्छी गेंदों को विकेटकीपर के दस्तानों में जाने दिया, उसने दिखाया कि यह बल्लेबाज आसानी से मौके गंवाने वालों में से नहीं है।

डोमिनिका में धूप काफी तेज थी, लेकिन यशस्वी के हौसले के आगे सब फीका पड़ गया। यशस्वी ने अपने पहले ही टेस्ट में रोहित के साथ पहले विकेट के लिए डबल सेंचुरी स्टैंड और विराट के साथ 110 रनों की शतकीय साझेदारी निभाई। ऐसा लग रहा था कि यशस्वी किसी भी सूरत में हाथ आए इस मौके को गंवाना नहीं चाहते।

यशस्वी ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट के 15 मुकाबलों की 26 पारियों में 80.21 की औसत से 1845 रन बनाए हैं। इस दौरान उसके बल्ले से 2 अर्धशतक और 9 शतक आए हैं। IPL 2023 में 625 रन बनाने वाले यशस्वी जयसवाल का क्रिकेटिंग करियर दिसंबर-जनवरी की कड़कती ठंड में ट्रक की छत पर सफर करते हुए मैच खेलने से शुरू हुआ था।

सुर्खियों में आए यशस्वी

इस IPL 5 अर्धशतक और 1 शतक जड़कर सुर्खियों में आए यशस्वी की शुरुआत मुंबई से नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के भदोही से हुई थी। 2008 से लेकर 2012 तक यशस्वी जायसवाल ने क्रिकेट का ककहरा यहीं पर सीखा। ट्रेनिंग के साल भर के भीतर ही यशस्वी ने अपनी एकेडमी के सीनियर टीम में जगह बना ली।

शुरू से ही बेहद अनुशासित खिलाड़ी

कोच बताते हैं कि यशस्वी शुरू से ही बेहद अनुशासित खिलाड़ी थे। उन्हें जो भी सीखने के लिए दिया जाता था, यशस्वी पूरी शिद्दत से वह टास्क कंप्लीट करते थे। यशस्वी गेंदबाजी में लेग स्पिन डालते थे और आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भी आते थे। सिर्फ 8 वर्ष की उम्र में ही यशस्वी ने अपने क्लब की सीनियर टीम को कई जगह मुकाबले जिता कर दिए। 2008 से लेकर 2012 के बीच लगातार 5 वर्षों तक पूरी टीम ट्रक पर लोड माल पर बैठकर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में लेदर बॉल टूर्नामेंट खेलने जाती थी। दूर की यात्रा के दौरान अक्सर टिकट के पैसे नहीं होते थे, तो बेटिकट यात्रा कर रही पूरी टीम से कभी टीटी भी टिकट की मांग नहीं किया करते थे।

 हर कोई नन्हे बच्चों के सपने साकार करने में अपने स्तर पर योगदान देना चाहता था। यशस्वी ने यूपीसीए का अंडर 14 ट्रायल दिया था। फाइनल राउंड में आने के बावजूद उनका टीम में सिलेक्शन नहीं हो सका। इससे कोच का मन टूट गया और उन्होंने यशस्वी को मुंबई भेजने का निर्णय कर लिया। यशस्वी के माता-पिता ने बेटे को मुंबई भेजने से तत्काल मना कर दिया। उनका कहना था कि बेटा काफी छोटा है। ऐसे में उसका घर पर रहकर ही प्रैक्टिस करना बेहतर होगा। आखिरकार साल भर के बाद यशस्वी के माता-पिता बेटे को मुंबई भेजने के लिए राजी हुए।

मुंबई के नालासोपारा में यशस्वी जायसवाल का पहला आशियाना था। वह वहीं से अपने ग्रुप के साथ प्रैक्टिस करने आजाद मैदान जाया करते थे। इस बीच यशस्वी के अंकल का किराए का घर उतना बड़ा नहीं था, जहां रह करवा अपनी क्रिकेट की तैयारी जारी रख सकें। यहां से यशस्वी ने काल्बादेवी डेयरी में रात के आशियाने की उम्मीद में काम किया। एक दिन ये कहते हुए यशस्वी का पूरा सामान फेंक दिया गया कि वह कुछ नहीं करता हैं। उनकी सहायता नहीं करते, बल्कि दिनभर क्रिकेट के अभ्यास के बाद थक कर चूर हो जाने के कारण सो जाते हैं।

इसके बाद कई दिनों तक भूखे-प्यासे गुजरने के बाद यशस्वी को आजाद मैदान के टेंट में रहने की जगह मिल गई। भीषण गर्मी के दौरान उस टेंट में सो पाना बहुत मुश्किल होता था। इसलिए यशस्वी अक्सर रात में बीच मैदान बिस्तर लगाते थे। पर खुले में सोने का नतीजा हुआ कि एक रात यशस्वी के आंख में कीड़े ने काट लिया। उनकी आंख बहुत ज्यादा फूल गई थी। यशस्वी के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह डॉक्टर के पास जा सकें और अपनी आंख का इलाज करवा सकें। उस दिन के बाद से चाहे कितनी भी गर्मी क्यों ना हो, यशस्वी टेंट में ही सोते थे। इसके बाद गुजारा करने के लिए आजाद मैदान में होने वाली रामलीला में यशस्वी पानीपुरी और फल बेचने में मदद करने लगे।

खुद से रोटी और सब्जी बनाने पर नसीब होता

ऐसी कई रात आई, जब जिस ग्राउंड्समैन के साथ वह रहते थे उससे उनकी लड़ाई हो गई और बदले में यशस्वी को भूखा ही सोना पड़ा। रामलीला के दौरान कई बार यशस्वी के साथ प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ी उनकी दुकान पर गोलगप्पे खाने आ जाते थे। यशस्वी को उस वक्त बहुत शर्म आती थी। यशस्वी देखते थे कि दूसरे खिलाड़ियों के लिए उनके माता-पिता लंच लेकर आते थे। पर यशस्वी को तो टेंट में ब्रेकफास्ट मिलता नहीं था, लंच और डिनर भी खुद से रोटी और सब्जी बनाने पर नसीब होता था।

यशस्वी कहते हैं कि मुझे वो दिन भी अच्छे से याद हैं, जब मैं लगभग बेशर्म हो गया था। मैं अपने टीममेट्स के साथ लंच के लिए जाता था, ये जानते हुए कि मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं उनसे कहता था, पैसे नहीं हैं लेकिन भूख है। जब एक-दो टीममेट चिढ़ाते, तो मैं गुस्से में जवाब नहीं देता था। आंसू पीकर रह जाता था। ये सब बातें यशस्वी ने अपने बचपन के कोच आरिफ खान और परिवार को उस वक्त बिलकुल नहीं बताई। उन्हें डर था कि सच्चाई पता चलने पर परिवार वापस बुला लेगा और फिर उनका हिंदुस्तान के लिए क्रिकेट खेलने का सपना अधूरा रह जाएगा।

इसके बाद यशस्वी मुंबई के मशहूर क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह के संपर्क में आए और शिद्दत के साथ मंजिल तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी। आखिरकार अब जाकर ख्वाब पूरा हो रहा है। धमाकेदार डेब्यू के बाद उम्मीद है कि 21 वर्षीय युवा खिलाड़ी यशस्वी जयसवाल का संघर्ष रंग लाएगा। यशस्वी अपनी बल्लेबाजी से टीम इंडिया को ढेरों मुकाबले जिताएगा। शतकों का अंबार लगाएगा।