पोषण सुरक्षा शिखर सम्मेलन, स्कूल और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए बहु-विभागीय सहयोग ने आगे का मार्ग प्रशस्त किया

Punjab : पंजाब राज्य खाद्य आयोग ने पोषण सुरक्षा, औषधीय बागवानी और स्वास्थ्य शिक्षा पहलों को स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक उच्च-स्तरीय बहु-विभागीय बैठक का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह सत्र बल मुकुंद शर्मा की अध्यक्षता में चंडीगढ़ स्थित एमजीएसआईपीए (MGSIPA) में आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न सरकारी अधिकारियों और विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस बैठक का उद्देश्य पोषण कार्यक्रमों को शैक्षिक घटकों और व्यावहारिक बागवानी पहलों के साथ एकीकृत करते हुए लागू करने और उनके विस्तार की रणनीतियां तैयार करना था।
हमारा उद्देश्य ऐसे टिकाऊ मॉडल तैयार करना है, जो सिर्फ तात्कालिक पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा न करें, बल्कि हमारे सबसे छोटे नागरिकों में स्वस्थ भोजन विकल्पों के प्रति स्थायी जागरूकता भी विकसित करें, आयोग के अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा और खाद्य सुरक्षा के प्रति आयोग की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
पूर्व खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग सचिव डॉ. बी.सी. गुप्ता, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की परिवर्तनकारी क्षमता पर अपने उद्घाटन भाषण में प्रकाश डाला। तकनीकी प्रस्तुतियों में स्कूलों में उपलब्ध संसाधनों, पोषण वाटिका (Poshan Vatika) पहलों की वर्तमान स्थिति और पंजाब की जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल कृषि मॉडल शामिल थे
व्यवहारिक क्रियान्वयन के रास्तों पर विशेष बल दिया गया, जहां सदस्य सचिव श्री कमल कुमार गर्ग, आईएएस ने चुनिंदा स्कूलों में पायलट कार्यक्रम शुरू करने की योजना प्रस्तुत की, जो राज्यभर में अपनाए जा सकने वाले मॉडल बन सकें। प्रतिभागियों ने विभिन्न सरकारी विभागों, शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र के बीच संभावित साझेदारियों की भी चर्चा की ताकि कार्यक्रम की प्रभावशीलता को अधिकतम किया जा सके।
इस बैठक में विभिन्न क्षेत्रों से प्रमुख हितधारकों की भागीदारी रही। श्री कमलदीप सिंह संगा, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने पोषण, स्वच्छता और स्वास्थ्य शिक्षा के महत्वपूर्ण आपसी संबंध पर प्रकाश डाला, जबकि डॉ. सतविंदर सिंह मारवाहा, पूर्व अध्यक्ष, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा प्रोटोकॉल के पहलुओं को रेखांकित किया। श्री वरिंदर ब्रार ने स्कूलों में संसाधनों की उपलब्धता पर व्यावहारिक जानकारी साझा की और सुखदीप सिंह झाझ ने पोषण वाटिका पहलों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
सुखदीप सिंह हुंडल ने जलवायु उपयुक्त बागवानी मॉडलों पर विशेषज्ञ मार्गदर्शन दिया, जबकि डॉ. अजीत दुआ ने खाद्य परीक्षण मानकों और क्रियान्वयन ढांचे पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, विविध विशेषज्ञों द्वारा पोषण सुरक्षा के पूरक पहलुओं पर विशिष्ट सुझाव प्रस्तुत किए गए। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना की डॉ. जसविंदर ब्रार ने फल उत्पादन के ज़रिए आहार विविधता को बढ़ाने की रणनीतियाँ प्रस्तुत कीं, वहीं डॉ. अमृत सिंह सेखों ने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य परियोजनाओं में एनआरआई की भागीदारी के अवसर साझा किए।
डॉ. एस.के. बटीश ने पोषण कार्यक्रमों में आयुर्वेद के एकीकरण की वकालत की और तरनजीत सिंह भामरा ने कार्यक्रम की निगरानी और मूल्यांकन के लिए एग्री-टेक समाधानों पर अपने विचार रखे। अंत में आयोग के सदस्य श्री चेतन प्रकाश ढिल्लों और विजय दत्त ने क्रमशः फील्ड अनुभव और समापन टिप्पणी के साथ बैठक का समापन किया।
शिखर बैठक का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि आगामी 30 दिनों में ठोस कार्य योजनाएं विकसित की जाएंगी, जिनमें मौजूदा अवसंरचना का लाभ उठाते हुए खाद्य गुणवत्ता परीक्षण, कार्यक्रम निगरानी और सामुदायिक सहभागिता के नवाचारी दृष्टिकोण शामिल किए जाएंगे।
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