धर्मलाइफ़स्टाइल

23 सितंबर को है आश्विन माह का शुक्र प्रदोष व्रत, जानें पूजा का मुहूर्त और महत्व

हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है और और इस बार आश्विन माह का प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह शुक्र प्रदोष व्रत है। इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा की जाती है। भगवान शिव की पूजा करने से और उनके आशीर्वाद से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, शुक्र प्रदोष व्रत करने से वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है और सभी समस्याओं का समाधान होता है। प्रदोष व्रत करने से धन, धान्य, पुत्र, आरोग्य आदि की भी प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत तिथि

23 सितंबर को शुक्र प्रदोष की पूजा का शुभ समय शाम को 06.17 मिनट से रात 08.39 मिनट तक का है। जो लोग इस दिन पूजा करेंगे और व्रत रखेंगे, उनको शिव पूजा के लिए 02 घंटे से अधिक का समय मिलेगा। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष मुहूर्त में ही करने का महत्व है।

प्रदोष व्रत का महत्व

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य का फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि ‘एक दिन जब चारों ओर अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगा। व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा। उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना करेगा, उस पर शिव जी की कृपा होगी। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ता है। उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

Related Articles

Back to top button