
बिहार का जमुई सदर अस्पताल बार-बार चर्चा में रहता है। सदर अस्पताल अभी भी चर्चा में है क्योंकि एक और मामला सामने आया है। वास्तव में, यह एक गर्भवती महिला से संबंधित है। जहां परिवार ने पूरी रात इंतजार किया फिर कुछ ऐसा हुआ कि सड़क पर कहा-सुनी होने लगी। जैसे ही मामला चर्चा में आ गया अस्पताल प्रबंधन ने आनन-फानन में मामले की जांच की है।
चिकित्सक ने दिखाई लापरवाही
बता दें,पिछले दिनों सदर अस्पताल में एक अधिवक्ता और उसके माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार के बाद अधिवक्ता और उसके साथियों ने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने अस्पताल के चिकित्सक मृत्युंजय पंडित की शवयात्रा को विरोध करते हुए निकाला।
आरती कुमारी का ससुराल लखीसराय जिले के तेतरहट गांव में है, जो सदर थाना क्षेत्र के दौलतपुर गांव में रहती है। उसे सदर अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था। परिजनों ने बताया कि आरती को शाम 6:00 बजे अस्पताल लाया गया था और उसे भर्ती कर दिया गया था।
लेकिन अस्पताल में पूरी रात बिताने के बाद भी किसी चिकित्सक ने उसकी सुध तक नहीं ली। नर्स और एएनएम इस दौरान जाकर उसका हाल-चाल पूछते रहे, लेकिन चिकित्सक ने मामले में रुचि नहीं दिखाई, इसलिए हमने सोचा कि उसे इलाज के लिए किसी निजी नर्सिंग होम में भर्ती कर देंगे। गर्भवती महिला को उसके परिजनों ने बाहर सड़क पर ले जाया।
गर्भवती महिला को कराया एडमिट
गर्भवती महिला के परिवार ने उसे सदर अस्पताल से बाहर ले जाने के लिए एक ई-रिक्शा किराए पर लिया। ई-रिक्शा चालक भाड़े को लेकर घबरा गए। इस दौरान, वे चर्चा करने लगे। इसके बाद लोग मौके पर पहुंचे। अस्पताल के गार्ड ने भीड़ देखकर इसका पता लगाया।
महिला को सदर अस्पताल में फिर से भर्ती किया गया। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि महिला को भर्ती कर लिया गया था और उसका सही इलाज किया गया था। अस्पताल में हर मरीज को बेहतर सुविधाएं दी गई हैं। हमारा लक्ष्य है कि लोगों को चिकित्सा सुविधा का सही लाभ मिल सके।