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Bihar Caste Census: नीतीश कुमार का जातिगत जनगणना पर बड़ा फैसला, जानें

Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना सरकार के जी का जंजाल बन गई है। विपक्ष तो जातीय जनगणना की खामियां गिनाने में ही लगा है। सत्ताधारी पार्टी जदयू के सांसद, पार्टी के पदाधिकारी ही नहीं बल्कि राजद के विधान पार्षद और कुछ जातीय नेता भी सरकार पर हमलावर है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से लेकर पटना सांसद रवि शंकर प्रसाद और उपेंद्र कुशवाहा तक ने आरोप लगाया है की जनगणना के दौरान उनके या उनके परिवार की कोई जानकारी नहीं ली गई। कई अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी इसी तरह के आरोप लगाए हैं।

इन आरोपों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया है कि राज्य के सभी शेयर और कीमती सामान को लेकर पूरी तरह से निजी रिपोर्ट साझा की जाएगी। आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान जातीय घनत्व की विस्तृत रिपोर्ट हाउस में रैक भी होगी। सभी सहयोगियों और सभी सदस्यों की राय भी ली जाएगी और साथ ही सभी सदस्यों की व्यक्तिगत जानकारी भी उन पर मुकदमा करा दी जाएगी।

Bihar Caste Census: गलत बयानबाजी कर रहे बीजेपी के लोग

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आज जंपत जयंती के मौके पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग जातीय विचारधारा को लेकर गलत बयानबाजी कर रहे हैं। एक बार जब बिहार विधानसभा के पटल पर जातीय अनुपात की पूरी विस्तृत रिपोर्ट दी जाएगी। उसके बाद सभी ब्रह्माण्ड दूर हो जायेंगे।

बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी

बिहार सरकार ने जो जातीय गणना के आंकड़े जारी किए, उसके मुताबिक बिहार में कुल 13 करोड़ की आबादी है। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग 27 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36 फीसदी और ओबीसी 63 फीसदी हैं। मतलब 84 फीसदी आबादी पिछड़ा, जनजातीय व जनजाति वर्ग की है। वहीं, सवर्ण 15.52 फीसदी हैं। सबसे ज्यादा 14.26 फीसदी यादव हैं। ब्राह्मण 3.65 फीसदी, राजपूत 3.45 फीसदी हैं।

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