Common Wealth Games में आया एक और गोल्ड, दादा की विरासत को आगे बढ़ाकर लक्ष्य ने रचा इतिहास

Common Wealth Games में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन ने मानों धमाल मचा रखा है। इसी कड़ी में एक और अच्छी खबर सामने आ रही है। PV Sindhu के बाद में भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने राष्ट्रमंडल खेलों ने भी कमाल कर दिखाया है। उन्होंने पुरुष एकल के फाइनल में मलेशिया एंग जे यॉन्ग को हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया। खास बात ये है कि Common Wealth Games में ये उनका पहला पदक है।
एक नजर लक्ष्य सेन की अनोखी कहानी की ओर
हम लक्ष्य सेन की बात करें तो इनकी कहानी बड़ी ही रोचक है और और प्रेरणादायक भी है। इनकी इस सफलता के पीछे इनके दादा और पिता दोनों का हाथ है। उनको इस मंजिल तक पहुंचाने के लिए उनके पिता डीके सेन ने अपने जीवन में इतना त्याग किया कि बेटे के भविष्य के लिए घर तक छोड़ दिया ,सेन के पिता अलमोड़ा छोड़कर बैंगलूरू चले आए।
लक्ष्य के दादा भी थे बैडमिंटन खिलाड़ी
लक्ष्य के दादा सीएल सेन बैडमिंटन के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएं जीतीं थीं। उनकी लगन और जज्बे के कारण अल्मोड़ा में बैडमिंटन को बढ़ावा मिला। इसी के चलते उन्हें अल्मोड़ा में बैडमिंटन का पुरोधा भी माना जाता है। उस विरासत को अब लक्ष्य ने आगे बढ़ाते हुए सिर्फ राज्य या देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी मेहनत की मिसाल पेश की है।