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उत्तर प्रदेश में ‘रोजगार दो–सामाजिक न्याय दो’ पदयात्रा का जुनून…सुल्तानपुर की मिट्टी ने संजय सिंह का जोश और बढ़ाया

AAP Rozgar Do Padyatra : उत्तर प्रदेश की जमीन पर बेरोजगारी, अन्याय और टूटी उम्मीदों के खिलाफ आम आदमी पार्टी की रोज़गार दो – सामाजिक न्याय दो” पदयात्रा लगातार जनसमर्थन जुटा रही है. चौथे दिन कूरेभार से कटका तक जो नज़ारा दिखा, वह किसी राजनीतिक शो से कम नहीं बल्कि एक जनलहर जैसा था. हर गाँव, हर बाज़ार, हर चौराहे पर जिस गर्मजोशी से लोगों ने स्वागत किया, उससे साफ महसूस हुआ कि जनता बदलाव चाहती है और यह चाह अब गुस्से से उम्मीद में बदल रही है.


युवाओं की पुकार: रोजगार दो

कूरेभार में बड़ी संख्या में युवाओं ने सांसद संजय सिंह से मुलाक़ात की. उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी समस्या बेरोज़गारी है और वे चाहते हैं कि उनकी आवाज़ संसद तक पहुँचे. उनके चेहरे पर उम्मीद भी थी और दर्द भी—जैसे कहना चाहते हों कि “हक़ के लिए लड़ने वाला कोई तो खड़ा हो.”

रास्ते भर गुफ्तारगंज, बाबूगंज, पटना चौराहा, कटरा बाज़ार—हर जगह माहौल जोशीला था. जब पदयात्रा रात को कूरेभार पहुँची, तो ठंड और अंधेरा भी लोगों की मोहब्बत को रोक नहीं पाया. लोग रात तक खड़े इंतज़ार करते रहे—यह दृश्य किसी आंदोलन की नहीं, बल्कि परिवर्तन की कदमताल की निशानी थी.

सुल्तानपुर पहुंचकर संजय सिंह हुए भावुक – “यह मेरे लिए आंकड़े नहीं, दर्द है”

जब पदयात्रा सुल्तानपुर पहुँची, तो संजय सिंह का लहज़ा बदल गया. वह भावुक हुए और बोले –

“सुल्तानपुर मेरा घर है… यहां की तकलीफ़ मेरे लिए आंकड़ा नहीं, मेरी अपनी पीड़ा है.”

उन्होंने जिले की हालत पर करारा सवाल उठाया. कहा कि यहाँ की सड़कें किसी जिले की नहीं बल्कि “भेदभाव की कहानी” लगती हैं हर तरफ गड्ढे, हर दिन हादसों का डर. बिजली की हालत भी बेहाल 24 घंटे में मुश्किल से 10 घंटे सप्लाई. दुकानदारों का धंधा ठप, बच्चों की पढ़ाई लचर और आम जनता की ज़िंदगी परेशान.

आशा बहुओं से वादा—“आपकी आवाज संसद तक जाएगी”

आशा बहुओं ने भी पदयात्रा को रोक कर अपनी पीड़ा बताई. बेहद कम मानदेय, भारी जिम्मेदारियां—जैसे उनके काम की कद्र ही न हो. संजय सिंह ने कहा –

“आप मुश्किल वक़्त में लाखों महिलाओं की जान बचाती हैं, मगर आपका हक़ नहीं दिया जाता… मैं आपकी आवाज़ संसद में जरूर उठाऊंगा.”

उनके इस वादे से आशा बहुओं के चेहरे पर सुकून और भरोसा दोनों दिखा.

बीमार सिस्टम, टूटा स्वास्थ्य ढांचा

संजय सिंह ने सुल्तानपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था को “चरमराई हुई” बताया. दवा नहीं, डॉक्टर नहीं, जांच नहीं—लोग बीमारी से कम और सिस्टम से ज्यादा लड़ रहे हैं. उन्होंने राजकीय मेडिकल कॉलेज की कागज़ पर एक्स-रे रिपोर्ट वाली घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह पूरे यूपी की हेल्थ सिस्टम की पोल खोलने के लिए काफी है.

पेपर लीक: युवाओं के सपनों पर वार

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 8 साल में यूपी में एक भी शिक्षक भर्ती पूरी नहीं हुई. UPTET, पुलिस भर्ती, RO/ARO – हर परीक्षा पेपर लीक. आयोग हर बार परीक्षा रद्द कर देता है, और युवा अपनी जिंदगी के कीमती साल खो देते हैं.

पेपर लीक अब यूपी की पहचान बन चुका है.

यह बयान भीड़ के अंदर मौजूद युवाओं की मौन निराशा को छू गया.

सुल्तानपुर की लड़ाई मेरी व्यक्तिगत लड़ाई है

संजय सिंह ने कहा कि जब पदयात्रा सुल्तानपुर पहुँची, तो हजारों लोग बेरोज़गारी, महंगाई और टूटी बुनियादी सुविधाओं के खिलाफ़ इस आंदोलन में शामिल हुए.

यह सिर्फ़ राजनीति नहीं हैयह मेरे घर की लड़ाई है, मेरे लोगों की लड़ाई हैऔर यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक हक़ नहीं मिलता.

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