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Diwali Shubh Muhurt : आख़िर क्यों मनाई जाती है दिवाली? जानिए पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Diwali 2025 : सनातन धर्म का एक ऐसा त्योहार जिससे पूरा देश जगमगा उठता है, इसके साथ ही पटाखों से गलियां तड़तड़ाती रहती हैं, वो है दिवाली. हर साल हमारे देश में दीपावली (Diwali 2025) का त्योहार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से गणेश जी और माता लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है दिवाली और क्या है पूजा करने की विधि ?


हर साल दिपावली (दिवाली) दशहरा के 20 या 21वे दिन कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक धार्मिक मान्यता है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। उसके बाद उन्होंने रावण के सोने की लंका उसके छोटे भाई विभीषण को सौंप दी थी। जिसके बाद उन्हें अयोध्या वापस आने में लगभग 20 या 21दिन लग गए थे।


क्यों मनाया जाता है दिवाली ?

जिस दिन भगवान श्रीराम रावण का वध कर माता सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौटे थे। उस दिन अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में पूरे शहर में दिए जलाए थे। उसी दिन के बाद हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को दिवाली (दिपावली) के रूप में मनाया जाने लगा.


पूजन का शुभ मुहूर्त

इस साल (2025) दिवाली 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन पंचांग के अनुसार लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट से 08 बजकर 18 मिनट तक है. इस दिन पूजा करने के कुछ नियम भी है। दिवाली के दिन पूजा से पहले पूरे घर की सफाई की जाती है। इसके बाद पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करते हैं। आइए जानते हैं पूरी विधि।


 पूजा करने की विधि

पूजा शुरु करने से पहले पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए। उसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की नई प्रतिमा स्थापित करें। इस दौरान मां लक्ष्मी जी को गणेश जी के बाईं ओर रखें। फिर चावल या गेहूं के ऊपर एक मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें। पूजा से पहले घर के मुख्य द्वार पर और आंगन में दीये जलाएं। फिर फिर हाथ में लाल या पीले रंग का फूल लेकर ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र से गणेश जी का ध्यान करें।


फिर गणेश जी के माथे पर तिलक लगाएं और उन्हें दूर्वा अर्पित करें। फिर माता लक्ष्मी का विधि विधान पूजन करें। माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और उनके बीज मंत्र का जाप करें। इसी तरह आप कुबेर देवता का भी पूजन कर लें।

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