
Lukhnow : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में करीब डेढ़ साल ही बचा है. चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां अभी से जारी है. सभी राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाताओं को लुभाने में जुट गए हैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक के सहारे आगामी विधानसभा चुनाव को साधने में लगे हुए हैं. जबकि बीजेपी पिछले एक दशक से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज है. इतना ही नहीं आगामी चुनाव को लेकर सत्ताधारी पार्टी भाजपा अपने पुराने मुद्दों पर वापस हो रही है.
नई रणनीति तैयार करने में जुटी सरकार
पिछले साल यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा था, जिस कारण पार्टी ने करीब डेढ़ साल पहले से ही आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में ऐड़ी चोटी से लगी है. भाजपा की योगी सरकार अपने दिग्गज मंत्री-विधायक के साथ बैठक कर नई रणनीति तैयार कर रही है. माना जा रहा है कि बीजेपी की योगी सरकार चुनाव-2027 में कोई कसर छोड़ने वाली नहीं है. वहीं दूसरी तरफ सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अपने नेताओं के साथ तबाड़तोड़ मीटिंग करते नजर आ रहे हैं. जिससे प्रदेश में राजनीतिक और गरमा गई है. अखिलेश यादव पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स और मुस्लिम वोटरों के सहारे सत्ता में आना चाह रहे हैं.
33 सीटों पर सिमटी भाजपा
पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2024 से बीजेपी ने बड़ा सबक सीखा है. पार्टी ने चुनाव से करीब दस महीनें पहले ही साफ कर दिया था कि यूपी की सभी 80 सीटें एनडीए के झोले में जा सकती हैं. जिससे पार्टी के दिग्गज नेता और कार्यकर्ताओं को इससे उपेक्षा का भाव लगने लगा. हालांकि, पार्टी के लोगों ने इसे नजर-अंदाज किया और प्रदेश में कमल खिलाया. लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 33 सीटों पर सफलता हासिल की. समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि कांग्रेस 6 सीटों में ही सिमट गई. अपना दल एस एक सीट पर और सहयोगी रालोद दो सीटों पर कब्जा की.
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