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महाराष्ट्र के मंत्री अघोरी पूजा में लिप्त, उद्धव गुट ने तस्वीर जारी कर लगाए आरोप

Maharashtra News : सामना के संपादकीय में एकनाथ शिंदे और उनके मंत्री भरत गोगावले पर अंधविश्वास और अघोरी टोटकों को लेकर तीखा हमला किया गया है. मंत्री भरत गोगावले की अघोरी पूजा की तस्वीर भी अब सार्वजनिक हो चुकी है. जो इस मुद्दे को और भी हवा दे दी है.

महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय अंधविश्वास और टोटकों की चर्चा तेज है. शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय ‘घातियों के टोटके!’ ने एकनाथ शिंदे और उनके गुट के मंत्री भरत गोगावले पर तीखा हमला किया है.

अब श्मशान और खोपड़ियों के बीच झोंका जा रहा

सामना के संपादकीय में हाल ही में वायरल हुई गोगावले की अघोरी पूजा करते हुए एक तस्वीर का हवाला देते हुए कहा गया कि प्रगतिशील महाराष्ट्र को अब श्मशान और खोपड़ियों के बीच झोंका जा रहा है. इस तस्वीर में मंत्री भरत गोगावले को करीब नग्न अवस्था में मानव खोपड़ियों, नींबू-मिर्च व हड्डियों के बीच अघोरी बाबा के सामने बैठा दिखाती है, जो पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बनी हुई है.

ठाकरे ब्रांड को मिटाने का सपना भी शिंदे गुट नहीं देख सकता

सामना के संपादकीय में उद्धव ठाकरे के बयानों पर ध्यान देते हुए लिखा गया है कि शिवसेना और ठाकरे ब्रांड को मिटाने का सपना भी शिंदे गुट नहीं देख सकता. उद्धव ठाकरे ने चेतावनी दी है कि जो लोग उन्हें खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, वे खुद अपनी हार की तरफ बढ़ रहे हैं. एकनाथ शिंदे द्वारा दिए गए बयान “मरे हुए को मारने से क्या मिलेगा?” को मानसिक कुंठा का प्रतीक बताते हुए लिखा गया कि एकनाथ शिंदे गुट की हालत अब मृतप्राय हो चुकी है, और उनके नेता रात के अंधेरे में दिल्ली जाकर देवेन्द्र फडणवीस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फरियाद करते हैं.

एकनाथ शिंदे गुट पर कड़े शब्दों में हमला

वहीं सामना के तीसरे पैराग्राफ में एकनाथ शिंदे गुट पर कड़े शब्दों में हमला करते हुए कहा कि अमित शाह ने पार्टी का चिह्न चुराकर शिंदे को दिया और अब वही अमित शाह महाराष्ट्र के ‘दुश्मन नंबर एक’ हैं. संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया कि अमित शाह देवेन्द्र फडणवीस और अन्य बड़े उद्योगपतियों की साजिश है कि मराठी मानुष को धारावी समेत मुंबई से बाहर किया जाए और वहां व्यापारिक राज कायम किया जाए. इस (मेगा डील) में एकनाथ शिंदे को केवल एक दलाल की भूमिका में बताया गया है.

न अपनी पार्टी है, न अपना नेतृत्व और न ही कोई विचारधारा

सामना के अंतिम पैराग्राफ में एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास न अपनी पार्टी है, न अपना नेतृत्व और न ही कोई विचारधारा. संपादकीय में लिखा, “पहली दफा महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में नींबू, मिर्च, पिन और खोपड़ी को महत्व मिलने लगा है. यह एकनाथ शिंदे की उपलब्धि है. उसी एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को खत्म करने की बात कही है. वे उन्हीं को दफनाने की बात करते हैं जिनका नमक लेकर वे इस पद पर पहुंचे हैं. यह पतन के निम्नतम स्तर पर पहुंचने का एक उदाहरण है. एकनाथ शिंदे के पास अपना कुछ भी नहीं है. चुराई हुई पार्टी, चुराया हुआ बाप, यहां तक कि अमित शाह का नेतृत्व भी किराए का है, राजनीति में लाया गया पैसा भी चोरी का है. वे ऐसा नहीं सोचते इसलिए खुद बेईमानी को प्रतिष्ठित करने के लिए अघोरी नाच होगा ही. उन्हें ऐसा करते रहना चाहिए. इससे महाराष्ट्र के लोगों को सत्य का दर्शन होता रहता है.

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