
नहीं रहे कवि-चित्रकार इमरोज 97 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली और दुनिया का अलविदा कह दिया। आज की पीढ़ी अमरोज से इतना वाखिफ न हो लेकिन जब भी नज्म-कविताओं का जिक्र हो। तो अमरोज का जिक्र होना भी लाजमी होगा। दुनिया से रुखसत हुए अमरोज यू तो एक चित्रकार थे। बाद में कंविताए नज्में भी कागज पर उतारी। लेकिन मशहूर कवयित्री अमृता प्रीतम से हमसाए की तरह रही उनकी दोस्ती ज्यादा सुर्खियों में रही।
जिस तरह अमृता अपने समय से कहीं आगे की कवयित्री मानी गईं, वैसे ही उनका और इमरोज का रिश्ता उनके दौर से कहीं आगे का रहा और हमेशा बाइज्जत याद किया जाता रहा। दोनों ने कभी शादी नहीं की, लेकिन इमरोज कई दशक अमृता प्रीतम के साथ रहे। अमृता उम्र में उनसे कोई सात साल बड़ी थीं, लेकिन दोनों का रिश्ता उम्र के फासलों से भी बड़ा था। एक बार इमरोज ने शायद अमृता के लिए ही लिखा था, ”जिंदगी में मनचाहे रिश्ते अपने आप हमउम्र हो जाते हैं..।” 2005 में कवयित्री के गुजर जाने के कुछ बरस बाद उन्होंने ‘अमृता के लिए नज्म जारी है’ नाम से किताब भी लिखी। अमृता ने अपनी आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ में साहिर लुधियानवी के अलावा अपने और इमरोज के रिश्तों का जिक्र किया है।
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