
एक अच्छा अभिनेता वो होता है जो हर किरदार में ऐसा ढल जाए कि देखने वाला समझ भी ना पाए कि जो अभी अभी उन्होने पर्दे पर देखा वो रील थी रियल लाइफ. जी हां, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बम्बई मेरी जान वेब सीरीज के एक्टर आलोक पांडेय ने. आलोक ने कई फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से एक्टिंग का लोहा मंगवाया है. हिन्दी ख़बर के एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट अश्विन मिश्र संग बातचीत में आलोक ने फिल्म और निजी जिंदगी से जुड़े कई राज़ खोले हैं.
आइए जानते हैं आलोक पांडेय संग बातचीत से जुड़े कुछ अंश

बम्बई मेरी जान आपको कैसे मिली ? रहीम का रोल निभाकर ये तय कर पाना मुश्किल था कि आप आलोक हैं या रहीम.. कैसे खुद को किरदार के लिए ढाल पाए ? MS Dhoni, Batla House जैसे फिल्मों के बाद बम्बई मेरी जान का रहीम बनकर कैसा लगा ?
बम्बई मेरी जान, एस हुसैन जैदी के उपन्यास पर आधारित फिल्म है. इस फिल्म का हिस्सा बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी.
पहली भारतीय अंतरराष्ट्रीय प्रीमियर वेब सीरीज बन गई है बम्बई मेरी जान ?

लंदन में इसका प्रीमियर हुआ और हमे फिल्म के लिए काफी सराहना मिली. अंडरवर्ल्ड जैसी चीज़ों को इंटरनेशनल लेवल पर रिप्रसेंटेशन मिलना बड़ी बात थी.
परिवार और दोस्तों का रिएक्शन कैसा रहा ?
ये किरदार मेरी आम लाइफ से काफी अलग है.. फैमली और दोस्तों को बेहद पसंद आया. क्योंकि ऐसा किरदार पहले कभी उन्होंने देखा नहीं था. काफी डार्क, इंटेन्स और अलग कैरेक्टर था. मेरी आम जिंदगी से बेहद अलग रोल था. केरेक्टर को पकड़ना काफी मुश्किल रहा लेकिन दोस्तों ने बहुत प्यार और हिम्मत दी.
बात वही है कि मौके मिलते हैं. उन्हें पकड़ना जरूरी होता है. दर्शकों की उम्मीदों पर खरा उतरना जरूरी है.
रहीम कैसे मिला.. इस रोल के लिए आपने हामी कैसे भरी ?

अभी मैं ऐसे मोड़ पर हूं जहां मैं परख कर चैलेंज एक्सेप्ट कर लेता हूं. फिलहाल कोई भी मौका या चैलेंज छोड़ना नहीं चाहता..
सुजात सर ने ‘रहीम’ से बदल डाली जिंदगी
बेहद खुशी होती है हम जैसे लोगों के लिए जिनका कोई फिल्मी बेकग्राउंड नहीं होता और उन्हें सामने से मौका मिलता है.
मुझे कॉल आया था. फिर दो राउंड के ऑडिशन के बाद मैं सेलेक्ट हुआ और मेरा रोल फाइनल हुआ. रोल फाइनल होने के बाद स्क्रिप्ट रीड की गई. फिर डोंगरी भाषा के लिए अलग से काम किया गया. कैरेक्टर में ढलने के लिए हमे उन जगहों पर जाना पड़ा जिससे हम कैरेक्टर को अच्छे से अपना सकें.
हां, बिल्कुल ये किरदार अलग था लेकिन एक अभिनेता होने के नाते हमे चैलेंज लेना चाहिए.
डायेरक्टर सुजात के साथ काम करने का एक्सपिरियंस कैसा रहा ?
काफी अच्छा अनुभव रहा. काफी पॉलिश किया. कच्ची मिट्टी को मज़बूत बनाने का काम मानलो डायेरक्टर सुजात सौदागर ने किया है. काफी समय तक हमे तैयारियां कराई गई.. लंबे वक्त तक रिहर्सल किया.
आपने खुद को रहीम के लिए प्रिपेयर कैसे किया ?

बात मौके की होती है.. यहां हमे मौका मिला.. प्रैक्टिस करने का मौका दिया.. कॉस्टूय्म घर ले जाकर रियाज़ करता था.. मैने रहीम बनने और ढलने की कोशिश की..ऑनस्क्रीन आपकी मेहनत नजर आती है ..
केके मेमन जैसे सह कलाकारों के साथ काम करके कैसे लगा ?

केके सहाब के साथ पहले काम करने के कारण बॉंडिंग अच्छी हो गई थी. सीनियर कलाकारों के साथ सीखने का मौका खूब.. सीन्स में हेल्प करते थे केके सर..आपके सीन को बेहतर बनाने के लिए इनपुट देते थे.. केके सहाब और निवेदिता जी ने काफी कुछ सिखाया और साथ दिया.
सेट के बारे में कुछ बताएं.. किस तरह की मस्ती मज़ाक सेट पर हुआ ?

क्योंकि फिल्म की थीम डार्क थी तो ऑफ कैमरा मस्ती मज़ाक बेहद जरूर था. सेट पर भी कैरेक्टर में रहते हुए मौज मस्ती करता था.. वैसे सेट पर रियल लाइफ फीलिंग आती थी. ऑफस्क्रीन मस्ती के साथ ऑनस्क्रीन मेहनत का कॉम्बीनेशन था.
कोविड के दौरान शूटिंग हुई.. कितनी मुश्किल हुई ? पीछे की मेहनत के बारे में बताएं..
बहुत मुश्किलों के बाद ये फिल्म शूट हो पाई.. कोविड के दौरान शूटिंग रुकी.. DOP की भी तबीयत खराब हो गई थी.. मुश्किलों वाले दौर को टीम एफर्ट के साथ पूरा किया..
शूटिंग के दौरान की कुछ यादों के बारे में बताएं..

2019 में शूटिंग शुरू हुई.. 2020 में कोविड आया.. मेरे पिताजी को कैंसर हुआ..पिताजी की डेथ हो गई.. बेहद ही मुश्किल समय था मेरे लिए.. मुझे गांव जाना पड़ा. वो लगातार कहते रहे कि तुम काम पर फोकस करो. उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने का हौसला दिया. इसी हौसले से सफलता की सीढ़ी चढ़ने का मौका मिला. पिताजी की यही सीख मुझे आज भी याद आती है.
मेरे पिताजी मेरे हीरो
2020 मेरे लिए काफी मुश्किल भरा दौर रहा. कोविड के चलते कई प्रोजेक्ट्स भी हाथ से फिसले.. कई बंद हो गए. मई 2020 में पिताजी के देहांत के बाद काफी मुश्किल हालात हो गए थे. पिताजी के जाने के बाद गांव से आने का मन नहीं था. वो एक साल का दौर कांटों से भरा नजर आता था.
पिताजी के आखिरी वक्त से जुड़ा एक किस्सा याद आता है मुझे. जब वो कैंसर से लड़ रहे थे. 30 अप्रैल को मेरे जन्मदिन के दिन मैंने उनसे डायरी पर कुछ लिखने के लिए कहा था. वो लाइने मेरे दिल के बेहद करीब हैं. उन्होंने लिखा था, आज मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है. सपने हैं, उम्मीदे हैं.. और असफलता में भी सफलता की सीढ़ी बनाओ. खूब ऊंचा उठो. छोटो, बड़ों और बुजुर्गों का सम्मान करो. पिताजी की यही सीख जिंदगीभर मेरे साथ रहेगी. इसे मैं अपने सीने से लगा कर रखूंगा.
पिताजी ने काफी संघर्षों के बाद हमें पाला था. वो बेहद हिम्मत वाले थे. वो हमेशा मेरे आइडल रहेंगे.
मुझे काफी समय लगा फिर से वापसी करने में.. लेकिन सबकुछ किस्मत में लिखा होता है…कोई पावर अपने आप ही चीज़ों को चलाती है.. फिर वापसी काफी अच्छी हुई.. आज लोग रहीम को इतना प्यार दे रहे हैं..
आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में बताएं..
द रेपिस्ट कोनकना सेन शर्मा के साथ.. अर्जुन रामपाल के साथ..अर्पणा सेना के निर्देशन में बन रही है फिल्म.
हसीन दिलरूबा-2 तापसी पन्नू, सनी कौशल, जिमी शेरगिल, विक्रांत मैसी, मनोज टाइगर और आदित्य श्रीवास्तव के साथ. जल्द ही Netflix पर रिलीज होगी.
एक वेब सीरीज ही जिसमें मैं प्राइमरी रोल प्ले कर रहा हूं.. प्रोजेक्ट का नाम पकड़म पकड़ी है..
इसके अलावा भी काफी प्रोजेक्ट्स पर बातचीत जारी है. फैंस का खूब प्यार मिल रहा है. रहीम के बाद नई आशाएं दिख रही हैं.