सीजेआई को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समिति से हटाने के लिए विधेयक लाई केंद्र सरकार

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केंद्र सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव आने से पहले पूरी कार्यप्रणाली को अपने पक्ष में करने के लिए पूरे ज़ोर-शोर से लगी हुई है। मानसून सत्र में हर दिन कोई न कोई नया बिल या कानून संसद में प्रस्तावित या पारित किया जा रहा है। अभी कुछ ही दिनों पहले दिल्ली सेवा बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ। जिसे दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने लोकतंत्र की हत्या बताया था।

अब केंद्र सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति, शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 राज्यसभा में प्रस्तावित किया है। यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने के लिए प्रस्तावित किया गया है।

इस बिल के तहत केंद्र सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, कार्यकाल और उनकी सेवा से जुड़ी शर्तों में बदलाव को लेकर राज्यसभा में आई है। इसके साथ ही सरकार इस बिल के द्वारा इस बात पर ज़ोर देने की कोशिश में लगी है की चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मुख्य न्यायधीश को हटाया जाए और जो कमेटी चुनाव आयुक्तों और मुख्य आयुक्तों को चुनें वह राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर हो, जिसमें प्रधानमंत्री अध्यक्ष के तौर पर होंगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नॉमिनेट एक केंद्रीय मंत्री इसके सदस्य होंगे ।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। जिसके अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में कार्यकारिणी समिति की दखलंदाजी को कम करना था। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियों में प्रधानमंत्री, लोकसभा के विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा किए जाने का फैसला दिया था। साथ ही न्यायमूर्ति के एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान समिति ने यह भी फैसला लिया था की यह कानून तब तक प्रभाव में रहेगा जब तक की संसद में इस विषय पर कोई कानून नहीं बन जाता । अब इस बिल के राज्यसभा में प्रस्तावित होने पर विपक्ष के कई नेताओं ने इसपर ऐतराज़ जताया है।

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