UP: स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दी गई श्रद्धांजलि, लगान बंदी आंदोलन के चलते हुआ था तहसीलदार हत्याकांड

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फतेहपुर जनपद के बिंदकी तहसील क्षेत्र के अमौली विकासखंड के ग्राम नोनारा में आज स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों की याद में एक आयोजन किया गया। जिसमें ग्रामीणों ने एवं विद्यालय के छात्र छात्राओं ने आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। बताते चलें कि नोनारा गांव में 26 फरवरी 1931 को किसानों द्वारा अंग्रेजी हुकूमत को लगान देने से मना कर दिया गया था।

जिसके चलते जमींदारों ने इसकी सूचना तहसीलदार को दी तहसीलदार अपने दल बल के साथ नोनारा गांव पहुंचकर निहत्थे  किसानों पर लाठी चलवा दी ,जिसके चलते किसानों का आक्रोश भड़क उठा और किसानों ने घेरकर वही तहसीलदार अवध बिहारी श्रीवास्तव को मौत के घाट उतार दिया। जिसके चलते अंग्रेजी हुकूमत ने 51 लोगों को मौके से गिरफ्तार कर जेल में डाला एवं 41 को बाद में पकड़ के जेल में डालने का काम किया।

इसी में  दुलारे लाल तिवारी पुत्र शिव नारायण तिवारी को मौके पर ही गोली मार दी  गई। इस हत्याकांड में शिव नारायण तिवारी पुत्र गजोधर को 1932 में मृत्युदंड दिया गया। इसके बाद 18 लोगों को अंग्रेजी सरकार ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और कुछ लोग शिनाख्त पर छूट भी गए। जिनकी याद में तत्कालीन विधायक प्रेम दत्त तिवारी के अनुरोध पर तत्कालीन जिलाधिकारी स्वर्ण दास बागला ने 1973 में सर्वप्रथम इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में यह आयोजन शुरू कराया। तब से लेकर आज तक ग्रामीण इस आयोजन को सहर्ष करते चले आ रहे हैं।

ग्रामीणों को सबसे बड़ा दुख इस बात का है कि इतने बड़े शहीद स्मारक स्थल पर कोई भी जनप्रतिनिधि किसी भी वर्ष नहीं आता है एवं प्रशासनिक अधिकारियों में भी सूचना देने के बाद कोई नहीं पहुंचता। वही इस समारोह में पहुंचे विद्यालयों की छात्र एवं छात्राओं द्वारा देशभक्ति नाटकों का मंचन कर लोगों की वाहवाही बटोरी और ग्रामीणों ने भी इस आयोजन में बढ़कर चढ़कर हिस्सा लिया। वही इस गांव के मेधावी छात्र एवं छात्रों को भी उप जिलाधिकारी द्वारा स्मृति चिन्ह एवं मैडल देकर सम्मानित किया गया।

बिंदकी उप जिलाधिकारी अंजू वर्मा ने कहां गई जहां-जहां भी देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों की स्मृतियां मौजूद हैं। उनको आने वाली पीढ़ियों को बताने के लिए संजोकर रखने की जरूरत है और जरूरत है कि अपने विद्यालयों में हम ऐसे देश के लिए प्राणों को न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों को याद करते रहे।

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