मोहन भागवत के बयान से असहमत स्वामी रामभद्राचार्य, कहा “वह राजनीतिक फायदे के लिए बयान…”

Rambhadracharya
Rambhadracharya: उत्तर प्रदेश के संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कई धार्मिक नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। भागवत ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग यह सोच रहे हैं कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदू समुदाय के नेता बन जाएंगे। इस पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने अपनी असहमति जताई और कहा कि वह भागवत के बयान से पूरी तरह असहमत हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मोहन भागवत उनके अनुशासक नहीं हैं, बल्कि वे स्वयं इसका हिस्सा हैं।
इसी बीच, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी भागवत की आलोचना की और आरोप लगाया कि वह राजनीतिक फायदे के लिए बयान दे रहे हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जब भागवत को सत्ता हासिल नहीं थी, तब वह मंदिर-मंदिर घूमते थे, लेकिन अब जब सत्ता मिल गई है, तो वह मंदिरों के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
हिंदू समुदाय के नेता…
भागवत ने पुणे में ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा था कि हमें दुनिया को सद्भावना का मॉडल प्रस्तुत करने के लिए एक उदाहरण तैयार करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर के बाद कुछ लोग यह सोचते हैं कि वे इस तरह के मुद्दे उठाकर हिंदू समुदाय के नेता बन सकते हैं, जो कि सही नहीं है।
भागवत के बयान का संदर्भ हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद पर हुए सर्वे और हिंसक झड़पों से जुड़ा है। इस बीच, भागवत ने अमरावती में एक कार्यक्रम में धर्म की महत्वता को रेखांकित करते हुए कहा कि धर्म का अनुचित ज्ञान अधर्म की ओर ले जाता है और दुनिया भर में धर्म के नाम पर उत्पीड़न व अत्याचार गलतफहमी का परिणाम हैं।
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