मसूरी में नाग पंचमी की दिखी धूम, 500 साल पुरानी नाग देवता की मूर्ति पर हुआ दूध अभिषेक

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आज नागपंचमी है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सावन मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही सर्पदंश या सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। बता दें कि मसूरी में 500 साल से भी ज्यादा पुराने नाग मंदिर में नाग पंचमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया।

इस अवसर पर मसूरी और आसपास के क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालु नाग मंदिर पहुंचे। नाग मंदिर पर स्थापित 500 साल से भी ज्यादा पुरानी मूर्ति का दुग्धाभिषेक किया और नाग देवता के दर्शन किए। इस मौके पर नाग मंदिर समिति द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा का समापन किया गया।

नागपंचमी के दिन नाग देवता के मंदिर में मसूरी और आसपास के शहरों, गांवों के लोग बड़ी संख्या पहुंचे और नाग देवता के दर्शन किए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मनौती भी मांगी। इस मौके पर मंदिर समिति द्वारा विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया। ग्रामीणों का कहा है कि उनके कुल देवता नाग हैं। जो कोई भक्त इस मंदिर से सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मुराद अवश्य ही पूरी होती है।

नाग मंदिर के मुख्य पुजारी मदन सिंह कोठाल ने बताया कि नाम मंदिर की मान्यता की यह मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि वर्षों पहले गाय चरकर शाम के समय अपने गौशाला में पहुंचती थी, तो उसके थनों में दूध नहीं पाया जाता था। क्योंकि वह अपना दूध पत्थर पर छोड़ कर आ जाती थी। जिसे नाग देवता पी जाते थे। गाय के मालिक ने चुपके से गाय को पत्थर पर दूध छोड़ते देखा और देखा कि उस दूध को एक नाग पी रहे थे। तभी से इस स्थान पर नाग मंदिर की स्थापना की गई। जिसके बाद क्यार कुली भट्टा गांव के लोग नाग देवता को कुलदेवता मानने लगे।

रिपोर्टर-सुनील सोनकर

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