अनिश्चितकाल तक राज्यपाल विधेयकों को लंबित नहीं रख सकते : सुप्रीम कोर्ट

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New Delhi: शीर्ष न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अनिश्चितकाल तक राज्यपाल विधेयकों को अपने पास लंबित नहीं रख सकते। अदालत ने कहा कि राज्यपाल के पास संवैधानिक ताकत होती है। किंतु, वह इस ताकत का उपयोग राज्य सरकार के कानून बनाने के अधिकार को कुंद बनाने के लिए नहीं कर सकते।

यह संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के उलट है

सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विधेयकों को लंबित रखना संसदीय व्यवस्था में संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के उलट है।

पंजाब सरकार ने किया था शीर्ष न्यायालय का रुख

सनद रहे कि पंजाब सरकार ने राज्यपाल पर विधेयकों को मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। वहीं, राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित का कहना था कि जून माह में बुलाया गया सत्र असंवैधानिक है। इसलिए, उस सत्र में किया गया कार्य भी असंवैधानिक है। तो वहीं, सरकार का तर्क है कि बजट सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है। इसलिए, सरकार जब चाहे फिर से सत्र बुला सकती है।

राज्यपाल किसी विधेयक को रोक सकते हैं

पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बीते दस नवंबर को दिए अपने फैसले में कहा कि बेशक राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत किसी विधेयक को रोक सकते हैं। लेकिन, इसका सही तरीका ये है कि वह विधेयक को फिर से पुनर्विचार के लिए विधानसभा को भेजें। 

दोनों का समन्वय के साथ कार्य करना जरूरी

कोर्ट ने कहा कि संघवाद और लोकतंत्र बुनियादी ढांचे का हिस्सा हैं। और दोनों को अलग नहीं किया जा सकता। अगर एक तत्व कमजोर होगा तो दूसरा भी खतरे में आएगा। नागरिकों की आकांक्षाओं और मौलिक स्वतंत्रता को हकीकत बनाने के लिए इन दोनों का समन्वय के साथ कार्य करना जरूरी है।

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