धर्म

दीपावली : दीपों की रोशनी से झिलमिल होगा घर आंगन, जानें… घर में कहां-कहां जलाएं दीप

Deepawali : दीपावली, जिसे “प्रकाश का पर्व” भी कहा जाता है, भारत के सबसे प्रिय त्योहारों में से एक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। दिवाली के दिन दीपक जलाने की परंपरा से हर घर रोशनी से जगमगाता है।

दीपक जलाने की महत्वता

मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दिवाली पर दीप जलाने की परंपरा बन गई। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, और सुख, समृद्धि तथा शांति के लिए भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

दीपावली पर दीपक जलाने की परंपरा

दिवाली का पर्व 5 दिनों का होता है, जिसमें प्रत्येक दिन दीप जलाने की विशेष महत्ता है। आइए जानते हैं कि किस दिन कितने दीपक जलाने चाहिए:

धनतेरस: यह पर्व दीपावली का पहला दिन होता है। इस दिन शाम को घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक जलाना चाहिए, जो यमदेव को समर्पित होता है।

दिवाली: इस दिन कम से कम 5 दीपक जलाना चाहिए। हिंदू धर्म में शुभ कार्यों के लिए विषम संख्या में दीप जलाने का महत्व है, जैसे 5, 7, 9, 11, 51 या 101 दीपक।

    दीपक जलाने के शुभ स्थान

    दिवाली पर दीपक जलाने के लिए कुछ खास स्थान हैं:

    • पूजा स्थल: यहां दीप जलाने से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है।
    • तुलसी के पौधे: तुलसी के नीचे दीप जलाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
    • तिजोरी: धन रखने के स्थान पर दीपक जलाने से धन में वृद्धि होती है।
    • मुख्य द्वार: यह लक्ष्मी जी के स्वागत का प्रतीक है।
    • पीने का पानी: जहां से परिवार पानी पीता है, वहां दीपक जलाना चाहिए।
    • रसोई: यहां दीप जलाने से मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद मिलता है।
    • खिड़कियां और बालकनी: यहां दीपक जलाने से घर में उजाला रहता है।
    • आंगन या छत: दीपक जलाने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

    दिवाली का त्योहार केवल रोशनी का नहीं, बल्कि प्रेम, एकता और समृद्धि का पर्व भी है। दीप जलाकर हम अपने घरों को खुशियों से भर सकते हैं।

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    डिस्क्लेमरः यह धार्मिक मान्यता के आधार पर सामान्य जानकारी है. हिन्दी ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता.

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