
MP High Court : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने आतंकी सैयद ममूर अली की जमानत याचिका खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि धार्मिक आतंकवाद देश के लिए गंभीर खतरा है और आतंकवाद या गैर-कानूनी गतिविधियों जैसे आरोपों का सामना कर रहे व्यक्तियों के प्रति उदारता नहीं दिखाई जा सकती।
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री हमले का मास्टरमाइंड
सैयद ममूर अली, जो जबलपुर का निवासी है, को 26 मई 2023 को एनआईए की दिल्ली टीम ने गिरफ्तार किया था। उस पर आयुध निर्माणी जबलपुर पर हमले की साजिश और विस्फोटक सामग्री तैयार करने का आरोप है। एनआईए द्वारा उसके खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियों के तहत मामला दर्ज किया गया है। हाई कोर्ट ने एनआईए की चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
NIA की कार्रवाई
एनआईए ने कोर्ट में आरोपियों की कॉल डिटेल्स पेश कीं, जिसमें पता चला कि ममूर अली इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक से प्रभावित था। वह जाकिर नाइक का वीडियो देखकर इस्लाम और अन्य धार्मिक मुद्दों पर प्रभावित हुआ था।
बता दें कि एनआईए ने जबलपुर में 13 स्थानों पर छापेमारी कर सैयद ममूर अली, मोहम्मद आदिल खान, और मोहम्मद शाहिद को गिरफ्तार किया था। तलाशी के दौरान आरोपियों के पास से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद, आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद हुए थे।
एनआईए के अनुसार, ममूर अली और उसके सहयोगी आईएसआईएस के इशारे पर भारत में आतंकी हमलों की साजिश रच रहे थे। वह युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें आईएसआईएस का प्रचार करने के लिए प्रेरित करता था। इसके अलावा, वह पिस्टल, ग्रेनेड और आईडी जैसे खतरनाक विस्फोटक खरीदने के लिए तस्करों से संपर्क में था।
हाई कोर्ट ने कहा जमानत देना उचित नहीं
हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे गंभीर मामलों में जमानत देना उचित नहीं है। आरोपी के खिलाफ मौजूद सबूत हैं जो उसे जमानत देने से रोकते हैं, और सुरक्षा की दृष्टि से यह एक आवश्यक कदम है।
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