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आदित्य एल-1 और गगनयान मिशन देश की बढ़ाएंगे प्रतिष्ठा : राष्ट्रपति मुर्मू

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New Delhi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आदित्य एल-1 और गगनयान मिशन न सिर्फ दुनिया में हमारे देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाएंगे, बल्कि समग्र रूप से मानवता की सहायता भी करेंगे। राष्ट्रपति एयरोनाटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा अपनी 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित ‘2047 में एयरोस्पेस और एविएशन’ मसले पर 2 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं।

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भारत के पास निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता

राष्ट्रपति ने कहा कि चाहे वह मंगल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने की उपलब्धि हो या फिर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सुरक्षित लैंडिंग, भारत ने हर क्षेत्र में साबित कर दिया है कि उसके पास इच्छाशक्ति और निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता है। विशेष बात ये है कि गुणवत्ता, लागत प्रभावशीलता और निर्धारित वक्त इन सभी परियोजनाओं की पहचान रहे हैं।

भारत ने लंबी प्रगति की है

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने लंबी प्रगति की है। लेकिन, कई चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। एयरोस्पेस क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है। रक्षा उद्देश्यों के साथ साथ हवाई यातायात परिवहन के क्षेत्र में तेजी से नई प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में एयरोस्पेस क्षेत्र में मानव संसाधनों के कौशल को और बढ़ाने की जरुरत है।

राष्ट्रपति कलाम के भाषण का किया जिक्र

राष्ट्रपति मुर्मू ने पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे कलाम के 2003 के भाषण का भी उल्लेख किया। जिसमें उन्होंने एयरोस्पेस प्रणालियों में आत्मनिर्भरता का आह्वान किया था। राष्ट्रपति ने अमृतकाल के दौर में सराहनीय योगदान के लिए पूरे एयरोस्पेस और एविएशन सेक्टर की सराहना की। उन्होंने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और इसके लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन और हाइब्रिड जैसी नई प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाने की जरुरत पर बल दिया।

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