शाही स्नान और पेशवाई के नाम बदलने की मांग को संतो का मिल रहा समर्थन

Dharm News : निर्वाणी अनी अखाड़े के संत महंत गोपाल दास जी महाराज ने पेशवाई और शाही स्नान के नाम बदलने की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि समय के साथ व्यक्ति और राष्ट्र को बदलना चाहिए। प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन से पहले पेशवाई और शाही स्नान के नाम बदलने की मांग तेज हो गई है। साधु-संत मुगलकालीन नामों को बदलकर संस्कृत शब्दों का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं।
अंतिम फैसला अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को ही करना है
प्रयागराज के कीडगंज स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में कई अखाड़ों के संत महात्माओं ने पेशवाई और शाही स्नान के नाम बदलने की मांग की है। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को ही करना है। महंत गोपाल दास जी महाराज का कहना है कि मुगल काल के शब्दों को हटाकर संस्कृत के शब्दों का उपयोग होना चाहिए, जिससे सनातन परंपरा को सम्मान मिले।
‘दिव्य स्नान’, ‘अमृत स्नान’, या ‘राजसी स्नान’ जैसे नाम रखने का प्रस्ताव
महंत गोपाल दास जी महाराज ने शाही स्नान के बदले ‘दिव्य स्नान’, ‘अमृत स्नान’, या ‘राजसी स्नान’ जैसे नाम रखने का प्रस्ताव किया है। इसके साथ ही पेशवाई का नाम बदलकर ‘छावनी प्रवेश’ करने की मांग भी उठाई गई है।
‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कई बैठकें प्रस्तावित’
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी महाराज ने कहा कि अखाड़े बहुत प्राचीन संस्थाएं हैं और इनमें मुगल काल से चली आ रही परंपराओं का उल्लेख मिलता है। उन्होंने कहा कि अगर नाम बदलने की बात आती है तो इसे हर जगह लागू करना होगा। इसके लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कई बैठकें प्रस्तावित हैं।
‘अखाड़ों के बीच मनभेद नहीं’
महंत यमुना पुरी ने यह भी कहा कि सांस्कृतिक रूप से सभी अखाड़े एक हैं और सभी अखाड़े सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने में लगे हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि अखाड़ों के बीच मनभेद नहीं है और सभी एक ही सनातन परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं।
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